गडकरी ने कहा कि माजुली द्वीप अब और नहीं सिकुड़ेगा

The Union Minister for Road Transport & Highways, Shipping and Water Resources, River Development & Ganga Rejuvenation, Shri Nitin Gadkari addressing at the foundation stone laying ceremony of project for protection of Majuli Island from erosion and Construction of Brahmaputra Board Complex, at Rawnapara, Majuli on December 29, 2017.

नई दिल्ली/असम । जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण, सड़क, परिवहन तथा राजमार्ग और शिपिंग मंत्री नितिन गडकरी ने आशा व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि माजुली द्वीप की बाढ़ और क्षरण से बचाव के लिए प्रारंभ की गई विभिन्‍न योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने के पश्‍चात माजुली द्वीप का सिकुड़ना रूक जाएगा। संभव है कि जो जमीन पानी के अंदर जा चुकी है, वह भी प्राप्‍त हो जाए। इसे उचित भूमि प्रबंधन प्रणाली के तहत माजुली की मुख्‍य भू‍मि से जोड़ा जा सकता है। केन्‍द्रीय मंत्री ने आज असम के माजुली को बाढ़ और क्षरण से बचाने के लिए सुरक्षा कार्यों की आधारशिला रखी। इस अवसर पर मंत्री महोदय ने कहा कि योजना के अनुरूप कार्य प्रारंभ हो जाएंगे और दो कार्य- मौसमों में खत्‍म हो जाएगा।
जल संसाधन मंत्रालय ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर ब्रहमपुत्र बोर्ड ने बाढ़ और क्षरण से द्वीप को बचाने के लिए जनवरी, 2004 से विभिन्‍न चरणों में सुरक्षा कार्य प्रारंभ किया। इन कार्यों में नदी किनारों पर तटबंध का निर्माण और सुदृढ़ीकरण, आरसीसी स्‍क्रीन को बिछाना, अवरोधों का निर्माण शामिल हैं। उन्‍होंने कहा कि 2007 के मानसून में आई अप्रत्‍याशित बाढ़ की वजह से निचले माजुली में भूमि का अत्‍यधिक क्षरण हुआ है। ब्रह्मपुत्र बोर्ड द्वारा किये गये निर्माण कार्यों का परिणाम 2007 तक संतोषजनक था और प्रभावित क्षेत्रों में क्षरण को रोका जा सकाल था।
मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि 2014 के पश्‍चात ब्रह्मपुत्र बोर्ड ने विभिन्‍न कार्य किए। पत्‍थरों से बनने वाले चार अवरोधों का निर्माण पूरा किया। सलमारा में भी अवरोध निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है। तटबंधों तथा आरसीसी अवरोधों का निर्माण कार्य भी पूरा हो गया है। पांच ऊंचे प्‍लेटफार्मों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है और इसे जिला प्रशासन को सौंप दिया गया है। इन परियोजनाओं पर नवम्‍बर, 2017 तक कुल 189.07 करोड़ रुपये की धनराशि व्‍यय हुई है। श्री गडकरी ने कहा कि ब्रह्मपुत्र बोर्ड के कार्यों से क्षरण प्रक्रिया रूक गई, लेकिन गाद जमा होने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई। सेटलाइट दृश्‍य के आधार पर माजुली द्वीप की भूमि का क्षेत्रफल 2004 में 502.21 वर्ग किलोमीटर था, जो नवम्‍बर, 2016 में 524.29 वर्ग किलोमीटर हो गया। ब्रह्मपुत्र बोर्ड, जल संसाधन मंत्रलाय द्वारा गठित त‍कनीकी सलाहकार समिति की अनुशंसाओं के आधार पर कार्य करता है। समि‍ति ने मार्च, 2017 में द्वीप का विस्‍तृत दौरा किया और एक डीपीआर रिपोर्ट (233.54 करोड़ रुपये) तैयार की। श्री गडकरी ने कहा कि मंत्रालय ने परियोजना को स्‍वीकृति दी और पूर्वोत्‍तर विकास मंत्रालय ने 207 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित करने पर सहमति दी है। शेष राशि ब्रह्मपुत्र बोर्ड द्वारा उपलब्‍ध कराई जाएगी।
मंत्री ने कहा कि इस परियोजना के चार घटक हैं। माजुली के 27 किलोमीटर लम्‍बे तट पर तटबंधों और अवरोधों का निर्माण, 41 स्‍थलों पर आरसीसी स्‍क्रीन बिछाना, एक पायलट चैनल का निर्माण और बिरिनाबारी में नहर का निर्माण। श्री नितिन गडकरी ने माजुली में ब्रह्मपुत्र बोर्ड कार्यालय के निर्माण की आधारशिला रखी। कार्यालय के निर्माण की अनुमानित लागत 40 करोड़ रुपये है। श्री गडकरी ने असम सरकार द्वारा दिए जाने वाले सहयोग और मदद के लिए मुख्‍यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल को बधाई दी।
माजुली द्वीप दक्षिण में विशाल ब्रह्मपुत्र नदी से तथा उत्‍तर में खेरकाटिया सूटी, लुइत सूटी और सुबनश्री नदियों से घिरा हुआ है और प्रत्‍येक वर्ष द्वीप पर बाढ़ आने तथा क्षरण होने का खतरा बना रहता है। 1914 में माजुली द्वीप का क्षेत्रफल 733.79 वर्ग किलोमीटर था, जो 2004 में 502.21 वर्ग किलोमीटर रह गया। 60 के दशक में असम सरकार ने तटबंधों का निर्माण किया, परंतु ये तटबंध द्वीप को आंशिक रूप से ही सुरक्षा दे पाए। प्रति वर्ष होने वाले क्षरण के कारण द्वीप का क्षेत्रफल कम होता गया। असम सरकार के निवेदन पर जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय ने माजुली द्वीप को बाढ़ तथा क्षरण से बचाव का कार्य 2003 में ब्रह्मपुत्र बोर्ड को सौंपा।

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