तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में कोहराम

नई दिल्ली: तीन तलाक को फौजदारी अपराध घोषित करने के प्रावधान वाले विधेयक पर बुधवार (3 जनवरी) को राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ और विपक्ष जहां इसे प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग पर अड़ा रहा वहीं सरकार ने कांग्रेस पर इसकी राह में रोड़ा लगाने का आरोप लगाते हुए इसे जल्दी पारित कराने पर बल दिया. दोनों पक्षों के अपने अपने रुख पर अड़े रहने के कारण विधेयक के बारे में कोई फैसला नहीं हो सका और उपसभापति पी जे कुरियन ने अपराह्न तीन बजकर करीब 55 मिनट पर बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी.विपक्ष विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग पर अड़ा रहा. वित्त मंत्री अरुण जेटली और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए इस विधेयक को जल्दी पारित कराने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले और लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद भी ऐसी घटनाएं समाज में हो रही हैं.
कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष जानबूझ कर विधेयक को अवरुद्ध करने की कोशिश कर रहा है. प्रसाद ने कहा कि सरकार ने लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन किया है और यहां दोहरा मापदंड अपना रही है. हालांकि नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सत्तापक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि हम विधेयक की प्रक्रिया को पूरा करेंगे. कानून मंत्री प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 चर्चा के लिए पेश किया और इसे ऐतिहासिक विधेयक बताया.इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय तथा कांग्रेस के आनंद शर्मा ने विधेयक को सदन की प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने दावा किया कि विधेयक त्रुटिपूर्ण है और प्रवर समिति में इस विधेयक पर व्यापक चर्चा होगी. नेता प्रतिपक्ष आजाद ने भी इसे प्रवर समिति में भेजने पर बल दिया और भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया.जेटली ने विभिन्न नियमों और सदन की परिपाटी का हवाला देते हुए कहा कि दोनों प्रस्ताव निर्धारित प्रक्रिया को पूरी नहीं करते और दोनों प्रस्ताव अस्वीकार्य हैं. उन्होंने आनंद शर्मा के प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा कभी नहीं होता कि संसद की किसी समिति में सत्तारूढ़ दल को बाहर कर दिया जाए.
विधेयक को जल्दी पारित कराने का कारण बताते हुए जेटली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक पर रोक के लिए कानून की खातिर छह महीने का समय दिया है जो फरवरी में पूरा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे में संसद से उम्मीद की जाती है कि वह जल्दी से विधेयक पारित करे. इस दौरान सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक हुयी तथा दोनों पक्षों ने अपने अपने पक्ष में विभिन्न तर्क दिए. तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन तथा सपा के नरेश अग्रवाल ने भी विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की.भाजपा सदस्यों के विरोध के बीच कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने कुछ कहने का प्रयास किया. लेकिन उनकी बातें ठीक से सुनी नहीं जा सकी. इस दौरान कानून मंत्री प्रसाद ने उनके बोलने पर आपत्ति जतायी और कहा कि वह इस मामले में उच्चतम न्यायालय में एक पक्ष के वकील रहे हैं. इसलिए वह इस मुद्दे पर नहीं बोल सकते.
सदन में हंगामा थमते नहीं देख कुरियन ने बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी. हंगामे के बीच ही कुछ सदस्यों ने महाराष्ट्र में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाने का प्रयास किया. नेता प्रतिपक्ष आजाद ने आरोप लगाया कि यह सरकार दलित विरोधी है और इसके सत्ता में आने के बाद दलितों की बदहाली बढ़ी है. इस पर सदन के नेता जेटली ने कहा कि राज्यों के विषय राज्यों में उठाए जाते हैं और यहां जिस महत्वपूर्ण मुद्दे की बात की गयी है, उस संबंध में नेता प्रतिपक्ष को उन भडकाऊ भाषणों पर भी गौर करना चाहिए जो संगठित हिंसा के संबंध में दिए गए हैं.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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