पिटाई से बिगड़ता है बच्चों का व्यवहार : अध्यन

जर्नल ऑफ़ साइकोलॉजिकल साइंसेज में प्रकाशित अध्यन के अनुसार पांच वर्ष की आयु तक जिन बच्चों को माता-पिता के हाथों पिटाई का सामना करना पड़ा है वे 6 अथवा 8 वर्ष की आयु आते-आते व्यावहारिक समस्या दर्शाते पाए गए हैं| शोधकर्ताओं और अध्यन के लेखकों – गैरशॉफ, कियारा एमपी सेटलर (ऑस्टिन के टेक्सास विश्वविद्यालय से ) और आर्या अंसारी (वर्जिनिया विश्वविद्यालय से) ने 12111 बच्चों से प्राप्त डाटा का अवलोकन करके यह निष्कर्ष निकाले| इन सभी बच्चों ने नेशनल रेप्रेज़ेंटेटिव अर्ली चाइल्डहुड लोंगिट्यूडनल स्टडी में भागीदारी ली थी| मुख्य लेखक गैरशॉफ के अनुसार इस अध्यन से ये पता चलता है की पिटाई कोई प्रभावशाली तरीका नहीं है इससे बच्चों का व्यवहार सुधरने की बजाय और बिगड़ जाता है|
इस अध्यन में स्टैटिस्टिकल तकनीक और अप्प्रोक्सिमेट रैंडम असाइनमेंट का प्रयोग करा गया है जो अब तक पहले किसी अध्यन में नहीं किया गया था| इससे पूर्व के अध्यनों में शोधकर्ता पिटाई के बच्चों के व्यवहार में प्रभाव को सही तरीके से समझने में अक्षम थे क्यूंकि इनका तथ्यानुसार सम्बन्ध निकालना किसी अध्यन से संभव नहीं था| इस समयावधि में बच्चों के व्यवहार को परखने के लिए शोधकर्ताओं ने 5,6 और 8 साल की आयु में टीचर्स द्वारा दी गयी रेटिंग का अवलोकन किया| इन बच्चों के अध्यापकों ने शोधकर्ताओं को बताया की इन्होने कितनी बार गुस्सा, बहस करना, आवेश में कार्य करना, झगड़ा करना और सामान्य प्रक्रिया में अवरोध डालने जैसा व्यवहार प्रकट किया| गैरशॉफ के अनुसार, ‘अध्यन यह सलाह देता है की पिटाई चाहे कितनी कम या ज्यादा हो बच्चों के व्यवहार को नुक्सान पहुंचाती है|’

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