यशवंत सिन्हा ने बनाया ‘राष्ट्र मंच’, शत्रुघ्न भी साथ

नयी दिल्ली| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बागी नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी में अपने सहयोगी एवं सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के नेताओं तथा मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के कुछ किसान नेताओं के साथ मिलकर एक दल निरपेक्ष राजनीतिक प्लेटफॉर्म ‘राष्ट्र मंच’ के गठन की घोषणा की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 70वीं पुण्यतिथि पर राजघाट में उनकी समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद श्री सिन्हा ने यहां काँस्टीट्यूशन क्लब रिपीट काँस्टीट्यूशन क्लब में अपने राजनीतिक, किन्तु गैर दलीय मंच के गठन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह मंच देश के समक्ष ज्वलंत मुद्दों को जनता तक ले जाने और उन्हें जागरूक बनाने के लिए एक आंदोलन का काम करेगा और इसे कभी भी राजनीतिक दल नहीं बनने दिया जाएगा। इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस की सांसद रेणुका चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी, आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एवं पूर्व पत्रकार आशुतोष, समाजवादी पार्टी के घनश्याम तिवारी आदि भी उपस्थित थे।
श्री सिन्हा ने अपने आंदोलन से जुड़े पूर्व राजनयिक के सी सिंह, मध्यप्रदेश के किसान नेता शिवकुमार सिंह ‘कक्का’ महाराष्ट्र के किसान नेता प्रशांत बवांडे, शंकर अन्ना, प्रो. दीपक धोटे आदि का भी परिचय कराया और यह भी ऐलान किया कि वह एक फरवरी को संकटग्रस्त किसानों के साथ मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर में आंदोलन करेंगे।
उन्होंने कहा कि हम सब लोग वैचारिक रूप से जुड़े हैं न कि राजनीतिक दलों की सदस्यता के आधार पर। देश में जैसी परिस्थितियां बन रहीं हैं उससे आंदोलन में शामिल लोगों के मन में समान रूप से चिंता व्याप्त है। देश में भय का माहौल है जो सत्ताधारी पार्टी ने शासन का दुरुपयोग करके बनाया है। प्रजातंत्र और प्रजातांत्रिक संस्थाओं का क्षरण हो रहा है। संसद, उच्चतम न्यायालय, मीडिया सभी पर उस भय की छाया है। इसलिए हमने तय किया है कि हम चुप नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा, “आज सच बोलना ईशनिंदा करना है। सरकार को लगता है कि प्रोपोगेंडा करने से सब मैनेज हो सकता है। जबकि फैक्ट (आंकड़े) आदेश देकर तैयार किये जा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि देश को आज़ाद हुए 70 साल हो चुके हैं लेकिन अाज भी देश उन्ही समस्याओं से ग्रस्त है जिनसे वह 70 साल पहले पीड़ित था। उन्हें लगता है कि अगर वे नहीं बोले तो गांधी जी का बलिदान व्यर्थ हो जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने संसद का क्षरण कर दिया है। बजट के बाद नौ दिन के कामकाज को चार दिन में समेटा जाएगा। शीतकालीन सत्र भी छोटा कर दिया। इसी प्रकार से उच्चतम न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों ने आरोप लगाया है कि अत्यधिक संवेदनशील मुकदमों काे चहेते जजों को मनमाने ढंग से सुनवाई के लिए आवंटित किया जा रहा है। सरकारी संस्थाओं खासकर जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग राजनीतिक विरोधियों की आवाज़ को दबाने के लिए किया जा रहा है। श्री सिन्हा ने कहा कि उनके मंच का उद्देश्य प्रजातंत्र एवं संस्थाओं की रक्षा करना, देश के 60 करोड़ किसानों की चिंता करना, रोज़गार के अवसर बढ़ाना, शहरी एवं ग्रामीण आबादी का जीवन स्तर सुधारना, महिलाओं की गरिमा तथा कमज़ोर तबको एवं अल्पसंख्यकाें के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है।

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