नई दिल्ली। मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल के अंतिम पूर्णकालिक बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानों, ग्रामीणों, छोटे उद्योगों तथा शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र का पूरा ख्याल रखा और इनके लिए भारी रकम आवंटित करने की घोषणा की. दूसरी ओर नौकरीपेशा लोगों को मायूसी हाथ लगी क्योंकि आयकर छूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया. मध्यमवर्ग ने इस बार के बजट को लेकर इस मोर्चे पर सरकार से बड़ी उम्मीदें पाल रखे थे. जेटली ने हालांकि इनकम टैक्स की दरों और स्लैब में कोई फेरबदल नहीं किया, लेकिन वेतनभोगियों के लिए 40,000 रुपए सालाना की मानक कटौती की जरूर घोषणा की. आम लोगों के नजरिये से इस बार के बजट में क्या रहीं अच्छी बातें और किन बातों से लोग हुए निराश, आइए डालते हैं एक नजर-
अच्छी बातें
देश के 50 करोड़ लोगों को इलाज के लिए 5 लाख रुपए तक की कैशलेस सुविधा देने की घोषणा
किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 1.5 गुणा बढ़ोतरी
उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन
बुजुर्गों को विभिन्न जमाओं पर मिलने वाले 50,000 रुपये तक के ब्याज पर अब टैक्स छूट मिलेगी.
वेतनभोगियों के लिए 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन
किसान उत्पादक कंपनियों के रूप में रजिस्टर्ड कंपनियों को शुरुआती पांच वर्षों में 100 फीसदी टैक्स डिडक्शन का लाभ
प्रत्येक तीन संसदीय क्षेत्रों में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा
आदिवासी इलाकों में नवोदय विद्यालयों की तर्ज पर एकलव्य स्कूल खोले जाएंगे
सरकार अगले तीन साल तक सभी क्षेत्रों की कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में नए कर्मचारियों के वेतन के 12 फीसदी तक अंशदान करेगी
250 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले छोटे उद्यमों के लिए कॉरपोरेट टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा