चंद्रबाबू नायडू के झटके का क्या है सच?

समृद्धि

नई दिल्ली: 2019 की सबसे बड़ी जंग से पहले भाजपा और एनडीए को जोर का झटका लग सकता है। मोदी सरकार में शामिल तीसरी सबसे बड़ी पार्टी टीडीपी आज सरकार से अलग होगी। विशेष राज्य के मुद्दे पर पिछले चार साल से आंदोलन कर रही चंद्रबाबू नायडू की तेलगु देशम पार्टी के दोनों मंत्री आज सरकार से इस्तीफा देने वाले हैं। उड्डयन मंत्री अशोक गजपति राजू और विज्ञान और तकनीकी राज्यमंत्री वाई एस चौधरी आज मोदी सरकार से इस्तीफा देंगे। मंत्रियों के इस्तीफे के मुद्दे पर चंद्रबाबू नायडू ने कल देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान नायडू ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर पीएम मोदी से बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई तो उन्होंने पीएम के ओएसडी से कहा कि वो टीडीपी के फैसले को प्रधानमंत्री तक पहुंचा दें। हालांकि एनडीए से अलग होने को लेकर चंद्रबाबू नायडू ने खुलकर कुछ नहीं कहा।
इस ऐलान के साथ ही चंद्रबाबू नायडू ने बताया कि उनकी पार्टी केंद्र सरकार के साथ इस उम्‍मीद से जुड़ी थी कि आंध्र प्रदेश के साथ इंसाफ होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में अब केंद्र सरकार के साथ जुड़े रहना संभव नहीं है। इस फैसले के बाद अब केंद्र में टीडीपी के मंत्री आज मोदी सरकार से इस्तीफा दे देंगे। 2019 की लड़ाई से पहले टीडीपी का मोदी सरकार से अलग होने का फैसला बड़ा सियासी फैसला है। कांग्रेस भी इसमें अपनी संभावनाएं देख रही हैं।
कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि इतने अहम मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी का चंद्रबाबू नायडू से फोन पर बात नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि टीडीपी ने साफ कर दिया है कि वो सिर्फ सरकार से अलग हो रही है एनडीए से नहीं और कांग्रेस के साथ जाने का कोई सवाल ही नहीं है।हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बार फिर साफ कर दिया कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। वित्त मंत्री के मुताबिक विशेष राज्य से मतलब स्पेशल आर्थिक पैकेज होता है जो हर राज्य को दिया जाना संभव नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि बंटवारे के दौरान आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य देने का वादा किया गया था तब विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान होता था लेकिन 14वें वित्तीय आयोग की रिपोर्ट में अब कहा गया है कि ऐसा दर्जा नहीं दिया जा सकता।
संसद में टीडीपी की ताकत की बात करें तो आंध्र की 25 सीटों में से टीडीपी के 16 सांसद हैं जिनमें से दो टीडीपी कोटे से मंत्री हैं। हालांकि टीडीपी के अलग होने से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन ये बात तय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में अलग सियासी समीकरण बन सकता है जहां टीडीपी और भाजपा किसी नए सहयोगी के साथ चुनावी मैदान में आमने-सामने आ सकती हैं।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *