भारत 10.8 प्रतिशत मौतें उच्च रक्तचाप व इसकी जटिलताओं के कारण 

 

नई दिल्ली। 29-वर्षीय समर्थ के लिए कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) का पता लगना किसी झटके से कम नहीं था। बगैर किन्हीं खास लक्षणों के उसका रक्तचाप सामान्य से बहुत ऊपर चला गया था। डाॅक्टरों ने बताया कि समर्थ की व्यस्त जीवनशैली और खाने-पीने की अस्वस्थ आदतों के चलते संभवतः ऐसा हुआ होगा। पहले उम्र के 50वें और 60वें दशक में जी रहे कुछ लोगों को उच्च रक्तचाप या हायपरटेंशन की जो समस्या प्रभावित करती थी, वो अब भारत में युवा पीढ़ी को प्रभावित करने लगी है। 2020 तक लगभग एक-तिहाई भारतीय आबादी इस कंडीशन से प्रभावित होगी, ऐसा अनुमान है।

हायपरटेंशन उस दशा को कहते हैं, जब रक्तचाप 140/90 मिमी एचजी के अनुशंसित स्तर से लगातार अधिक रहता है। लक्षणों प्रकट न होने के कारण, इस दशा का पता कुछ साल बाद ही लग पाता है। इसलिए कम उम्र में ही एहतियाती उपाय कर लेने चाहिए, विशेष रूप से उन लोगों में जिनके परिवार में पहले भी किसी को यह परेशानी रह चुकी हो। भारत में 2.6 लाख लोग हायपरटेंशन की वजह से मर जाते हैं, इस लिहाज से देश में यह एक क्रोनिक बीमारी बन गयी है।

इस बारे में श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में कार्डियोवास्कुलर साइंसेज के डायरेक्टर डॉ. अमर सिंघल ने कहा कि समर्थ का मामला इस बात का एक बढ़िया उदाहरण है कि कैसे हायपरटेंशन में कोई लक्षण नहीं दिखायी देते, जबकि यह अंतर्निहित बीमारी का संभावित कारण बन सकता है। उच्च रक्तचाप हृदय पर अधिक भार डालता है, जिससे रक्त पंप करने के लिए हृदय को दोगुना परिश्रम करना पड़ता है। इसके कारण, हृदय का आकार फैलने लगता है, वो कमजोर हो जाता है और दिल की विफलता भी हो सकती है। उच्च रक्तचाप के कारण कोरोनरी धमनियां कठोर, मोटी और संकरी हो जाती हैं। हृदय को रक्त की आपूर्ति घट जाती है और समय के साथ ये सभी कारक एनजाइना, और इस्केमिक तथा कोरोनरी हृदय रोग जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, जिन लोगों को दिल का दौरा पड़ता है, उनमें कई ऐसे भी होते हैं, जिनमें हायपरटेंशन का पता ही नहीं चल पाया था, इस कारण उनका इलाज नहीं हो सका। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखें। वे लोग तो खास करके जिन्हें ऐसा होने की आशंका हो।”

उच्च रक्तचाप से भारत और उसकी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर बहुत अधिक बोझ पड़ता है। यह देश में होने वाली 10.8 प्रतिशत मौतों और 4.6 प्रतिशत विकलांगता समायोजित जीवन वर्षों (डेलीज) के लिए जिम्मेदार है। लगभग 16 प्रतिशत इस्केमिक हृदय रोग, 21 प्रतिशत पेरिफेरल आर्टीरियल रोग, 24 प्रतिशत तीव्र हार्ट अटैक्स और 29 प्रतिशत स्ट्रोक मामलों के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

डॉ. सिंघल ने आगे कहा, “जीवनशैली में बदलाव उच्च रक्तचाप को प्रबंधित करने और रोकने में महत्वपूर्ण हैं – और साथ ही इससे जुड़ी हृदय समस्याओं के लिए भी। उन लोगों को दवाओं की आवश्यकता हो सकती है, जिनमें स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गयी हो। यदि हृदय रोग विकसित होता है, और जटिलताएं पैदा होती हैं, तो उपचार व सर्जरी की सलाह दी जा सकती है।“

एथेरोस्क्लेरोसिस तथा एनजाइना वाले मरीजों को शल्य प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है जिसे एंजियोप्लास्टी कहा जाता है। एंजियोप्लास्टी के दौरान गुब्बारा युक्त एक कैथेटर को अवरुद्ध कोरोनरी धमनी में डाला जाता है और धमनी को साफ करने व रक्त प्रवाह में सुधार लाने के लिए गुब्बारे को फुलाया जाता है। स्टेंटिंग, एस्मैल, सेल्फ-एक्सपैंडिंग, धातु जाल ट्यूब जिसे स्टेंट कहा जाता है, एक कोरोनरी धमनी के अंदर डाला जाता है। स्टेंट धमनी को फिर से बंद होने से रोकता है। आजकल, ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट भी उपलब्ध हैं, जिन पर दवा लगी होती है। यह दवा धमनियों को फिर से बंद होने से रोकने में मदद करती है। एथेरोस्क्लेरोसिस और एनजाइना के रोगियों के लिए एक अन्य विकल्प कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग (सीएबीजी) है, जिसमें शरीर से एक स्वस्थ धमनी या शिरा को लेकर अवरुद्ध कोरोनरी में ग्राफ्ट किया जाता है। ग्राफ्टेड धमनी या शिरा कोरोनरी धमनी के अवरुद्ध हिस्से को बायपास करती है।

उच्च रक्तचाप को रोकने के लिए कुछ सुझाव

अपने कद के अनुसार स्वस्थ वजन बनाये रखें।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
ऐसा आहार खाएं जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज भरपूर हांे।
सोडियम का सेवन प्रति दिन 2,300 मिलीग्राम (यानी एक चम्मच नमक) ही करें। नमक की जगह, फलों और सब्जियों से पोटेशियम (कम से कम 4,700 मिलीग्राम प्रति दिन) प्राप्त करें।
शराब की मात्रा कम करें या बिल्कुल न लें।
योग और ध्यान के माध्यम से तनाव कम करें।
अपने रक्तचाप को नियमित रूप से मॉनिटर करें, और इसे स्वस्थ सीमा में रखने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

 

(लेख में दी गयी कोई भी और सभी जानकारी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में कार्डियोवास्कुलर साइंसेज के डायरेक्टर, डॉ. अमर सिंघल द्वारा सामान्य अवलोकन एवं शैक्षिक उद्देश्यों के लिए व्यक्त किये गये उनके स्वतंत्र विचार हैं।)

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