स्टेट बैंक ने ‘मनस्वी’ और ‘तपस्वी’ के माध्यम से दर्शाया ई-वेस्ट से बना अनूठा आर्टवर्क

नई दिल्ली। पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता के साथ, देश के सबसे बड़े ऋणदाता बैंक- स्टेट बैंक आॅफ इंडिया ने 12.5 फुट की दो विशिष्ट कलाकृतियाँ- ‘मनस्वी’ और ‘तपस्वी’ बनाकर एक अनूठी पहल की है। एसबीआई के चेयरमैन श्री रजनीश कुमार ने आज नई दिल्ली में लोकल हैड आॅफिस (एलएचओ) में इन दोनों अनूठी कलाकृतियों का उद्घाटन किया।
इन दोनों कलाकृतियों को बनाने के लिए लगभग 400 कंप्यूटर, 2000 से अधिक माइक्रोचिप, 400 से अधिक कीबोर्ड और 200 से अधिक रद्द किए गए क्रेडिट कार्ड का उपयोग किया गया था। मनस्वी का अर्थ है बुद्धिमान व्यक्ति जो शुद्ध महान विचार रखते हैं, जबकि तपस्वी का अर्थ है ध्यान की अवस्था में संत। एसबीआई के दिल्ली सर्कल के सीजीएम श्री विजय रंजन द्वारा परिकल्पित इन कलाकृतियों को जयपुर के कलाकार श्री मुकेशकुमार ज्वाला ने ‘मदर एसबीआई’ नामक एक श्रृंखला के तहत केवल 3 महीनों में तैयार किया गया है।
एसबीआई के चेयरमैन श्री रजनीश कुमार ने इस अवसर पर कहा, ‘‘देश में इकालाॅजिकल बैलेंस बनाए रखने की दृष्टि से निर्मित अपनी तरह की इन अनूठी कलाकृतियांे को प्रस्तुत करते हुए मुझे बेहद प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि बैंक व्यापक शोध और अनुसंधान और अनेक प्रकार के ई-वेस्ट के सहयोग से ‘मनस्वी’ और ‘तपस्वी’ को पेश करने में कामयाब हुआ है। हमें विश्वास है कि ये कलाकृतियाँ हमें अधिक प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ अपने ग्राहकों की सेवा करने के लिए प्रेरित करेंगी।‘‘
इन कलाकृतियों को योग और ध्यान मुद्राओं में बनाया गया है जो पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्वस्थ होने का संदेश देती हैं। ‘मनस्वी’ और ‘तपस्वी’ को एसबीआई ने मानवीय रूप में एक महिला के तौर पर दर्शाया है जो भारत की मजबूत और स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए एसबीआई की चेतना को भी दर्शाती है।
एसबीआई पर्यावरणीय स्थिरता के साथ अपनी सभी बैंकिंग सेवाओं को एकीकृत कर रहा है। यह बैंक द्वारा अपनी तरह की एक अनूठी पहल है, जिसने दुनिया भर में विशेष रूप से ई-कचरे का उपयोग करके कलाकृतियों के निर्माण के नए आयाम खोले हैं।

 

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