देश में पहले निजी विश्वविद्यालय ने ज्योतिष पैकल्टी के लिए किया करार

मोदीनगर। ज्योतिष लोक कल्याणकारी विज्ञान है और इसके दुरुपयोग करने वाले को हानि होती है। पाखंड जल्द ही खुल जाता है ओर फिर वह व्यक्‍ति अकेला रह जाता है। वहीं वास्तविक साधक ज्यातिर्विद उत्तरोत्तर अति व्यस्त हो जाता है। इसलिए ज्योतिष को आज व्यवहारिक प्रचार प्रसार की आवश्यकता है।
जनरल सिंह आज राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के अधिवेशन में श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय गजरौला के साथ ज्योतिष के स्नातक, स्नातकोत्तर, एम फिल, पीएच डी आदि पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए परिषद और विश्वविद्यालय के मध्य सहमति पत्र पर हस्ताक्षर सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा कि ज्योतिष की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद और श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय गजरौला के मध्य हुई इस सहमति से ज्योतिष में शोध की परंपरा को प्रेरणा मिलेगी और लोक कल्याण होगा। इस प्रकार के प्रयोग होते रहने चाहिएं। व्यक्‍ति के साथ क्या होना है, इसकी जानकारी या तो विधाता जानते हैं या ज्योतिषाचार्य। ज्योतिष के यथार्थ विज्ञान का महत्व जनता के कल्याण में है। जो ज्योतिषाचार्य ज्योतिष के प्रयोग से सीखे हैँ या जिन्होने ज्योतिष को विधिवत सीखा है, पढ़ा है, वे सफल ज्योतिर्विद बनते हैं। इस विद्या को लोक कल्याण के लिए ही प्रयोग करना चाहिए। इसका गैर कल्याणकारी प्रयोग करने वाले का नाम और काम दोनों खत्म हो जाते हैं। इसलिए इसको किसी विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक दर्जा देना अति महत्वपूर्ण है। इसका अनुकरण अन्य विश्वविद्यालयों को भी अनुसरण करना चाहिए और अपने यहां सबको लागू करना चाहिए। उन्होने कहा कि जब भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने राज किया जो उन्होने पाया कि भारत के लोग प्रभावशाली ढ़ंग से विकसित सभ्यता और शिक्षा वैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ और सम्पन्न हैं तो उन्होने हमारी सभ्यता को हर प्रकार से नष्ट करने का प्रयास किया। लेकिन ज्योतिष जैसे वैज्ञानिक ज्ञान को नष्ट नहीं कर सके।

ज्योतिष लोक कल्याणकारी विज्ञान हैः जनरल वीके सिंह

उससे पूर्व श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति डॉ. राजीव त्यागी ने कहा कि ज्योतिष के वैज्ञानिक पक्ष को शोध संपन्न करने की दृष्‍टि से इसे शैक्षिक स्तर पर संरक्षण अति आवश्यकता है। कोई भी ज्ञान शोध परंपरा से ही जीवित रहता है। इसलिए हमने यह पहल की है कि राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के साथ मिलकर ज्योतिष संकाय प्रारंभ करने का निर्णय लिया। हम ज्योतिष में डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, बीए, एमए, एम फिल और पीएचडी जैसे पाठ्यक्रमों से पइ महान विज्ञान के संरक्षण के लिए काम करेंगे। नए नए शोधों से जीवन के हर पक्ष को प्रकाशित करने की ज्योतिष की महत्वपूर्ण क्षमता का हम सही उपयोग कर सकेंगे।सामान्यतया मनुष्य ज्योतिष जिज्ञासु है और यह विद्या संसार के लिए अमृत के समान है। इसलिए हम इस क्षेत्र में शोध परंपरा को स्‍थापित करने का पूर्ण प्रयास करेंगे।
दो दिवसीय इस अधिवेश की अध्यक्षता करते हुए श्रीमद्भागवतपीठ शुकतीर्थ के पीठाधीश्वर शिक्षा ऋषि स्वामी ओमानंद सरस्वती जी ने कहा कि ज्योतिष ऐसी महान विद्या है, जिसका उल्लेख हम इतिहासकार ने अपने उद्धरणों में किया है। वे अलबरूनी हों या मैक्समूलर टॉड, ज्योतिष से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके। भारत के गांव गांव में रहने वाले विद्वान मनीषियों ने अपने ज्योतिष ज्ञान से विदेशी आक्रांताओं के दिमाग हिला दिए थे। भारत के ग्रहों के ज्ञान के कारण विदेशी हमलावरों के ईर्ष्यावश हमारे पुस्तकालयों को जला दिया था। लेकिन हमारे विद्वानों ने श्रुति परंपरा से इस विद्या को बचाए रखा। आज इस विद्या को शासकीय संरक्षण की अति आश्यकता है, क्योंकि इस विद्या के ज्ञान से संसार को सुखी और संपन्न रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष विद्या के ज्ञान से भारत का किसान फसल उगाता है और जहाजी जहाज को दिशा देता है। यह विद्या मानवमात्र के लिए कल्याणकारी है।
इस अवसर पर अपने विचार रखते हुए राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद के अखिल भारतीय अध्यक्ष आचार्य चंद्रशेखर शास्‍त्री ने सरकार से मांग की कि सरकार ज्योतिष गणित की शिक्षा कम से कम एच्‍छिक रूप से माध्यमिक शिक्षा में लागू करे और अन्य एैच्‍छिक विषयों की तरह इस पर ध्यान देना चाहिए, जिससे इस विद्या का लोप होने से बचा रहे। उन्होने प्रत्येक राज्य एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय में ज्योतिष संकाय खोलने की भी सरकार से मांग की है। श्रीशास्‍त्री ने कहा कि प्रत्येक भारतीय को कम से कम तिथि नक्षत्र आदि का सामान्य ज्ञान तो होना ही चाहिए।
एसौचेम के प्रदेश अध्यक्ष और ईस्ट इंडिया उद्योग के कार्यकारी प्रमुख डॉ. पी कुमार ने कहा कि ज्योतिष के क्षेत्र में राष्ट्रीय ज्योतिष परिषद और श्री वेंकटेश्वरा विश्वविद्यालय द्वारा उठाया गया कदम स्वागत योग्य है और इसमें सभी को सहयोग करना चाहिए। ज्योतिष की शिक्षा प्राप्त व्यक्‍ति किसी से धोखा नही पा सकेगा। ज्योतिष के संबंध में अवैज्ञानिक धारणाएं भी ज्योतिष की शिक्षा के प्रसार प्रचार से नष्ट होंगी और इसका वास्तविक सत्य प्रकाशित होगा।
एसआरएम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस विश्वनाथन ने ज्योतिष को विज्ञान का मूल बताते हुए कहा कि इस विद्या के शिक्षण से पाखंड नष्ट होगा। उन्होने एसआरएम विश्वविद्यालय में भी शीघ्र ही इस विषयक निर्णय लेने का वचन दिया।
अधिवेशन में स्‍थानीय विधायक डॉ. मंजू शिवाच, जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल, संस्कृत भारती के जिला प्रचारक विवेक कौशिक, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के ज्योतिष विभाग प्रमुख डॉ. सुनील शर्मा, डॉ. रमेश वायगावंकर, स्वामी अद्वैतानंद न्यायतीर्थ, उडीसा के पूर्व पुलिस महानिदेशक महोपाध्याय अरुण उपाध्याय, आचार्य अजय भांबी, डॉ. अशोक नेहरा, आचार्य निशा घई, डॉ. ललित पंत, अमित कौशिक, आचार्य विपिन डागर, रिचा शुक्ला, शैलेंद्र पांडेय, वाई राखी, आचार्य जीतू सिंह, डॉ. बिजेंद्र मिश्र, डॉ. सुशान्त राज, एच एस रावत, अनिल वत्स, जितेंद्र कंसल, डॉ. शीतल शर्मा, डॉ. अनिला सिंह, हरीश त्यागी, संजय त्यागी, डॉ. वीरेंद्र वर्मा, डॉ. संत कुमार, केवल राजगौर, डॉ. मुकेश भरद्वाज, ब्रजभूषण भारद्वाज, अखिलेश द्विवेदी, पंकज जैन, अखिलेश कौशिक, पं. गोपाल कौशिक, ऋषि मां, वेद पाल चपराना, महेश गर्ग, पवन कटारिया, भारती शास्‍त्री, यथार्थ शेखर, आर्येंदु शास्‍त्री, रूही राजपूत आदि ने अपने विचार रखे।

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