नई दिल्ली। पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने आज डेनमार्क के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ह्यूमन ऐक्ट के साथ मिलकर आज बाल अधिकारों पर आधारित अभियान की शुरूआत की ताकि कोविड-19 महामारी की दुश्वारियों से निपटने एवं इसके प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभावों से बच्चों को बचाने के लिए यूनिसेफ के प्रयासों को समर्थन दिया जा सके। इसमें खाद्यान्नों की कमी, दबावग्रस्त स्वास्थ्य प्रणाली, हिंसा एवं शिक्षा को हुआ नुकसान शामिल है।
थनबर्ग ने कहा कि, “पर्यावरण समस्या की तरह ही कोरोना वायरस महामारी भी बाल अधिकारों से जुड़ी हुई समस्या है। यह बच्चों को आज तो प्रभावित कर ही रही है पर इसके दूरगामी प्रभाव भी होंगे, मगर इससे सबसे अधिक प्रभावित वह समूह होगा जो कि संकटग्रस्त है। मैं आप सभी का आह्वान करते हुए अनुरोध करती हूं कि बच्चों के जीवन को बचाने, उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने एवं उनकी शिक्षा को बरकरार रखने के लिए आप सभी यूनिसेफ के महत्वपूर्ण कार्य में उसे सहायता देने के लिए मेरा साथ दें।”
इस अभियान की शुरूआत ह्यूमन ऐक्ट तथा ग्रेटा थनबर्ग फाउंडेशन की तरफ से यूनिसेफ को आरंभिक दान के रूप में $200,000 की राशि दी गई। अभी हाल ही में ग्रेटा थनबर्ग को उनकी वैश्विक सक्रियता के लिए ह्यूमन ऐक्ट ने उन्हें पुरस्कृत किया था एवं उनके फाउंडेशन को $100,000 की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की। इस कुल राशि के साथ-साथ ह्यूमन ऐक्ट यूनिसेफ को अतिरिक्त $100,000 भी प्रदान करेगा।
इस अभियान से प्राप्त आय यूनिसेफ के आपात कार्यक्रमों को जाएगी ताकि कोरोना-19 से लड़ाई को आगे ले जाया जाए, यह राशि साबुन, मास्क, दस्ताने, साफ-सफाई की किट, सुरक्षात्मक उपकरण, जीवन रक्षक सूचना उपलब्ध कराने तथा स्वास्थ्य प्रणाली को सहायता देने में काम आएगी।
इस माह संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी का सबसे ज़्यादा ख़तरा बच्चों को ही है। यद्यपि अभी तक इस बीमारी के प्रत्यक्ष प्रभावों से बच्चे अभी बचे हुए हैं, लेकिन इस महामारी का उन पर विपरीत प्रभाव पड़ना लाज़मी ही है। सभी देशों के सभी आयु वर्ग के बच्चे इससे प्रभावित हो रहे हैं एवं उन पर इसका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव विशेष रूप से पड़ रहा है। कुछ मामलों में तो इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का भी उन पर प्रभाव पड़ रहा है।
यूनिसेफ की कार्यपालक निदेशक हेनिरिटा फोर का कहना है,“कोरोना वायरस से संघर्ष इतना बड़ा और गम्भीर है जितना बड़ा कई पीढ़ियों ने नहीं देखा है। कोविड-19 के दुष्प्रभावों से बच्चे तथा युवा सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं, इसलिए यह स्वाभाविक ही है कि वे इसके लिए कुछ करना चाहते हैं। ग्रेटा थनबर्ग ने अपनी सक्रियता से यह साबित कर दिया है कि युवा अपना पक्ष रखने एवं विश्व को बदलने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। यूनिसेफ को हार्दिक प्रसन्नता है कि ग्रेटा और उनके समर्थकों ने न केवल इस महामारी के लिए खिलाफ एक मोर्चा खोला है अपितु वे यूनिसेफ के साथ साझेदारी भी कर रहे हैं।”