Janmashtami 2025: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा कैसे करें? जानें नियम और व्रत विधि

 

Janmashtami 2025: हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे देश में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण का प्रतीक है, जब उन्होंने मथुरा की कारागार में देवकी और वासुदेव के पुत्र रूप में जन्म लिया था।

वर्ष 2025 में भगवान श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। हालांकि, इस बार तिथि को लेकर लोगों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है — जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जाए या 16 अगस्त को?

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख, शांति, प्रेम और धर्म की स्थापना होती है। नीचे दी गई है घर में आसान और पूर्ण पूजा विधि, जिसे 15 या 16 अगस्त की रात (जन्म के समय) किया जा सकता है:

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि

पूजा से पहले तैयारी करें:

✅ साफ-सुथरा स्थान चुनें (मंदिर या पूर्व/उत्तर दिशा)
✅ लकड़ी की चौकी पर पीला/साफ कपड़ा बिछाएं
✅ भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र रखें (बाल गोपाल रूप में)
✅ आस-पास दीपक, फूल, धूप, कपूर, तुलसी दल, घी, मिश्री, मक्खन, पंजीरी, फल आदि रखें

पूजन विधि (Steps):
संकल्प लें

हाथ में फूल और जल लेकर यह व्रत रखने का संकल्प लें:
“मैं भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर निशि काल में पूजन व उपवास का संकल्प लेता/लेती हूँ।”

कलश स्थापना करें

एक पात्र में जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और नारियल रखें
कलश के पास दीपक जलाएं

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें
पूजन सामग्री अर्पित करें 
  • जल से स्नान (अभिषेक) कराएं
  • वस्त्र, चंदन, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएं
  • मक्खन-मिश्री और तुलसी पत्र का भोग लगाएं
  • मोरपंख, बांसुरी और झूला सजाएं
  • बाल गोपाल को झूले में बैठाकर झुलाएं
भजन और मंत्र जाप करें

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें,  श्रीकृष्ण भजन, आरती या ‘श्रीकृष्णाष्टकम्’ का पाठ करें

मध्यरात्रि (12 बजे) पर जन्मोत्सव मनाएं
जैसे ही निशीथ काल (रात 12 बजे) हो:

शंख बजाएं, घंटियां और मंत्रोच्चारण करें, भगवान श्रीकृष्ण की आरती करें,प्रसाद वितरित करें, झूला झुलाएं और “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” बोलें

 क्या करें और क्या न करें?

✔️करें:

  • दिन भर व्रत रखें (निर्जल या फलाहार)
  • सात्विक भोजन ही बनाएं
  • तुलसी पत्र ज़रूर अर्पित करें

❌ न करें:

  • प्याज, लहसुन, शराब, मांस आदि से परहेज करें
  • क्रोध या अपवित्र व्यवहार से बचें

विशेष सुझाव (2025)

जन्माष्टमी 2025 का निशीथ काल: रात 12:01 से 12:45 बजे तक

  •  भोग में मक्खन-मिश्री, धनिया पंजीरी, दूध-दही अवश्य रखेंदूसरे दिन (नंदोत्सव) पर बाल गोपाल को वस्त्र दान या अन्नदान करें


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा भक्ति और प्रेम से करें, तभी उसका पूर्ण फल मिलता है। यह पर्व हमें धर्म, करुणा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

 

जय श्रीकृष्ण

 

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