नई दिल्ली, जुलाई 2025: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर देशभर में यह सवाल आम हो गया है – इस साल जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी या 16 अगस्त को? पंचांगों और परंपराओं के अनुसार, दोनों ही तारीखों पर जन्माष्टमी मनाई जाएगी, लेकिन अलग-अलग मान्यताओं के आधार पर।
क्या कहता है पंचांग?
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अष्टमी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त 2025 को दोपहर 12:46 बजे
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अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त 2025 को दोपहर 01:26 बजे
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रोहिणी नक्षत्र: 15 अगस्त की रात में रहेगा
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निशीथ काल (श्रीकृष्ण जन्म का समय): 15 अगस्त की रात 12:01 से 12:45 तक
तो सही तिथि क्या है?
दोनों तिथियां सही मानी जा रही हैं, लेकिन मान्यताओं के आधार पर अलग-अलग समुदायों में जन्माष्टमी का पर्व अलग दिन मनाया जाएगा:
परंपरा | तिथि | किसके द्वारा मनाई जाएगी |
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स्मार्त परंपरा (गृहस्थ/सामान्य भक्त) | 15 अगस्त 2025 (शुक्रवार) | घरों में, स्कूलों में, स्थानीय पूजा मंडलों द्वारा |
वैष्णव परंपरा (सनातनी संत, ISKCON अनुयायी) | 16 अगस्त 2025 (शनिवार) | मठों, आश्रमों, ISKCON मंदिरों में |
दो दिन भक्ति का उत्सव
इस वर्ष विशेष बात यह है कि 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस भी है। ऐसे में देशभर में धार्मिक और राष्ट्रीय उल्लास का दुर्लभ संयोग देखने को मिलेगा। मथुरा, वृंदावन, द्वारका और देश के प्रमुख कृष्ण मंदिरों में दो दिनों तक भव्य आयोजन होंगे।
क्या करें आम भक्तजन?
धार्मिक आचार्यों के अनुसार, यदि आप घर पर पूजन कर रहे हैं और रोहिणी नक्षत्र व निशीथ काल के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म मनाना चाहते हैं, तो 15 अगस्त की रात को ही पूजन करना श्रेष्ठ होगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2025 का पर्व देशभर में 15 और 16 अगस्त – दोनों ही दिनों भक्ति और उल्लास से मनाया जाएगा। परंपरा के अनुसार दिन चुनें, उपवास करें और रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का उत्सव पूरे श्रद्धा और प्रेम से मनाएं।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा, ज्ञान और न्याय की प्रेरणा देने वाला उत्सव है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि अधर्म चाहे जितना भी बलवान हो, अंत में धर्म की ही विजय होती है।