पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप के 4 कॉल ठुकराए, जर्मन अखबार का दावा – व्यापार विवाद से बढ़ा तनाव

पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप के चार कॉल ठुकराए, जर्मन अखबार FAZ का दावा। अमेरिका-भारत व्यापार विवाद में तनाव बढ़ा, ट्रंप के 50% टैरिफ और रूस-पाकिस्तान मुद्दे से रिश्तों में खटास।

"भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तस्वीर, पीछे भारत और अमेरिका के झंडे; समाचार शीर्षक: मोदी ने ट्रंप के कॉल ठुकराए, अमेरिका–भारत व्यापार विवाद गहराया।"
“मोदी ने ट्रंप के कॉल ठुकराए: अमेरिका–भारत व्यापार विवाद गहराया”

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक विवाद के बीच एक बड़ा खुलासा सामने आया है। जर्मनी के मशहूर अखबार Frankfurter Allgemeine Zeitung (FAZ) ने दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के हफ्तों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चार बार फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन मोदी ने हर बार कॉल उठाने से इनकार कर दिया।

भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव

ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, जो ब्राजील के बाद किसी भी देश पर सबसे ज्यादा है। इसके अलावा, अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने पर भी भारत पर पेनल्टी लगाई। इन फैसलों से भारत और अमेरिका के 25 साल पुराने रिश्तों में खटास आ गई है।

मोदी की नाराजगी और सतर्कता

FAZ की रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी का फोन कॉल न उठाना इस बात का संकेत है कि वे न केवल ट्रंप से नाराज हैं बल्कि बेहद सतर्क भी हैं। वियतनाम के साथ ट्रंप ने एक फोन कॉल में ही समझौते का ऐलान कर दिया था, जबकि बातचीत अधूरी थी। मोदी नहीं चाहते कि भारत भी ऐसे किसी जाल में फंसे।

ट्रंप की विवादित टिप्पणियां

ट्रंप ने हाल ही में भारत को रूस की “मरी हुई अर्थव्यवस्था” से जोड़कर टिप्पणी की थी। इसके जवाब में मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होगा। यह बयान साफ दिखाता है कि भारत ट्रंप की बयानबाज़ी को गंभीरता से ले रहा है।

पाकिस्तान और चीन फैक्टर

रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के साथ तेल समझौते की बात और पाकिस्तानी सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस डिनर पर बुलाना भी भारत को नाराज कर गया। वहीं, मोदी का चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करना और SCO सम्मेलन में शामिल होना संकेत देता है कि भारत अब अपनी कूटनीतिक रणनीति में अमेरिका पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता।

इंडो-पैसिफिक रणनीति पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता यह तनाव इंडो-पैसिफिक रणनीति को कमजोर कर सकता है, जिसमें अमेरिका चाहता था कि भारत चीन के खिलाफ उसकी बड़ी ताकत बने। लेकिन अब भारत आर्थिक और कूटनीतिक तौर पर संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है।

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