डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका में आयात होने वाली ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। जेनरिक दवाओं को छूट मिली है, लेकिन भारत की बड़ी फार्मा कंपनियाँ जैसे सन फार्मा, सिप्ला और ज़ाइडस पर असर पड़ना तय है। घोषणा के बाद निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2.42% टूटा और शेयरों में गिरावट दर्ज हुई।
संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत के लिए दवाओं का सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित नए 100 प्रतिशत टैरिफ से भारतीय फार्मा कंपनियों — जैसे ज़ाइडस, सन फार्मा और सिप्ला — पर बड़ा असर पड़ सकता है।
ट्रंप का ऐलान
ट्रंप ने गुरुवार को ट्रुथ सोशल पर घोषणा की कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका में आयात होने वाली सभी ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा।
हालाँकि, यदि कोई कंपनी अमेरिका में फार्मा निर्माण संयंत्र बना रही है, तो उसे इस टैरिफ से छूट दी जाएगी।
ट्रंप ने कहा:
“1 अक्टूबर 2025 से किसी भी ब्रांडेड या पेटेंटेड दवा पर 100% टैरिफ लगेगा, जब तक कि कंपनी अमेरिका में दवा उत्पादन का संयंत्र बना नहीं रही हो। ‘बना रही’ का मतलब होगा निर्माण कार्य शुरू होना या निर्माणाधीन होना।”
फिलहाल, ट्रंप और व्हाइट हाउस ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस नीति को लागू कैसे किया जाएगा।
अमेरिका को भारत का दवा निर्यात
भारत का फार्मा सेक्टर निर्यात-आधारित है। वित्त वर्ष 2025 में भारत का दवा निर्यात 30 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया, जिसमें मार्च में सालाना 31% की तेज़ वृद्धि दर्ज हुई।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त 2024 से अगस्त 2025 के बीच दवा और फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात 6.94% बढ़कर 2.35 अरब डॉलर से 2.51 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) के अनुसार, अमेरिका को भारत का फार्मा निर्यात FY25 में 10.5 अरब डॉलर रहा, जो 20.43% की सालाना वृद्धि है। यह भारत के कुल फार्मा निर्यात का 34.51% हिस्सा है।
भारत, जिसे “दुनिया की फार्मेसी” कहा जाता है, वॉल्यूम में दुनिया में तीसरे और उत्पादन मूल्य में 14वें स्थान पर आता है। केवल 2025 की पहली छमाही में ही भारत ने 3.7 अरब डॉलर (लगभग ₹32,505 करोड़) मूल्य की दवाएँ निर्यात कीं।
किन कंपनियों पर असर?
हालाँकि ट्रंप की घोषणा में जेनरिक दवाओं को छूट दी गई है (जो भारत का अमेरिका को मुख्य निर्यात है), फिर भी प्रमुख भारतीय कंपनियाँ इस नीति को लेकर सतर्क हो गई हैं।
डॉ. रेड्डीज, ऑरोबिंदो फार्मा, ज़ाइडस लाइफसाइंसेज़, सन फार्मा, सिप्ला और ग्लैंड फार्मा जैसी कंपनियाँ अपनी कुल आय का 30% से 50% हिस्सा अमेरिकी बाज़ार से अर्जित करती हैं।
शेयर बाज़ार पर झटका
घोषणा का असर तुरंत भारतीय स्टॉक मार्केट पर दिखा। शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी गिरावट के साथ खुले।
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निफ्टी फार्मा इंडेक्स 2.42% टूटा और 21,445.50 के निचले स्तर पर पहुँचा।
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सन फार्मा 4.87% लुढ़ककर 52-सप्ताह के निचले स्तर ₹1,548 पर पहुँच गया।
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ग्लैंड फार्मा 4.70% गिरकर ₹1,880 पर आ गया।
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बायोकॉन 3.68% टूटकर ₹342.85 पर आ गया।
अन्य दिग्गज कंपनियाँ — लॉरस लैब्स, इप्का लैब्स, डिविस, ज़ाइडस लाइफ, अल्केम लैब्स, सिप्ला, अजंता फार्मा, डॉ. रेड्डीज, टॉरेंट फार्मा, एबॉट इंडिया और ग्लेनमार्क — भी 0.8% से 3.2% तक गिरीं।