आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह, नारायण दास गुप्ता और सुशील गुप्ता को उम्मीदवार बनाया

समृद्धि भटनागर

नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव को लेकर गुटबाजी का सामना कर रही आम आदमी पार्टी ने पार्टी नेता संजय सिंह के साथ नारायण दास गुप्ता और सुशील गुप्ता को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इनमें नारायण दास गुप्ता चार्टर्ड अकाउंटेट, जबकि सुशील गुप्ता व्यवसायी और समाजसेवी हैं. मंगलवार को पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) की बैठक में इन नामों पर फैसला किया गया. पार्टी नेता कुमार विश्वास ने पार्टी की तरफ से उम्मीदवार न बनाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, ‘तमाम मुद्दों पर जो सच बोला है, उसके लिए पार्टी ने दंड स्वरूप यह पुरस्कार दिया है.’ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कुमार विश्वास ने कहा, ‘अरविंद ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा था कि सर जी आपको मारेंगे, लेकिन शहीद नहीं होने देंगे. मैं उनको बधाई देता हूं कि मैं अपनी शहादत स्वीकार करता हूं.’ उन्होंने यह भी कहा कि अरविंद केजरीवाल से असहमत रहकर कोई पार्टी में जीवित नहीं रह सकता है.
उधर, आम आदमी पार्टी ने कहा, ‘अरविन्द जी और पार्टी के सभी साथियों का मन था कि देश के बड़े लोग जाकर राज्यसभा में बैठें. कुछ लोगों ने कहा कि हम पार्टी के साथ हैं लेकिन अगर हम पार्टी के टिकट पर राज्यसभा चले गए तो मौजूदा केंद्र सरकार सारी मशीनरी हमारे पीछे ही लगा देगी.’
दिल्ली में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए 16 जनवरी को चुनाव होना है. माना जा रहा है कि संजय सिंह गुरुवार को नामांकन पर्चा दाखिल कर सकते हैं. नामांकन पर्चा भरने की आखिरी तारीख पांच जनवरी है. 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी का बहुमत है, इसलिए उसके उम्मीदवारों की जीत तय मानी जा रही है.
पिछले कुछ समय से कुमार विश्‍वास और पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. केजरीवाल और कुमार विश्‍वास के बीच खुलकर मतभेद की स्थिति तब सामने आई, जब 2017 में ओखला से विधायक अमानतुल्ला खां ने कुमार विश्वास को बीजेपी और आरएसएस का एजेंट बता डाला था. इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया था, ‘कुमार विश्वास मेरा छोटा भाई है.’ जिसके जवाब में कुमार विश्वास ने एक टीवी मुलाकात में कहा, ‘हम रिश्तेदार नहीं है….हम सभी एक मकसद के लिए कार्य कर रहे हैं.’ इस घटना के बाद से पार्टी के दोनों शीर्ष नेताओं के बीच अविश्वास की एक दीवार खड़ी हो गई. इस विवाद के बाद कुमार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाले अमानतुल्ला खां को पार्टी ने निलंबित तो कर दिया, लेकिन उनका निलंबन काफी लंबा नहीं चला, जिसके अलग-अलग मतलब निकाले गए. इसके बाद राज्‍यसभा चुनाव के लिए कुमार की ‘दावेदारी’ भी टकराव की वजह बन गई, जब उनके समर्थकों ने टिकट पाने की मांग पुरजोर तरीके से उठा डाली और पार्टी दफ्तर में धरना देकर इस पर काफी हो-हल्‍ला भी मचाया था. लिहाजा, यह साफ हो गया था कि कुमार विश्‍वास और उनके समर्थक पार्टी और केजरीवाल के खिलाफ खुलकर सामने आ गए हैं. ऐसे में केजरीवाल को साफ पता चल गया था कि विश्‍वास और उनका गुट पार्टी एवं उन पर हावी हो रहा है.
दरअसल, आम आदमी पार्टी की रणनीति बीजेपी के खिलाफ रही है. कुमार को प्रखर रूप से ‘राष्ट्रवादी’ और बीजेपी से ‘हमदर्दी’ रखने वाला माना जाता है और वह प्रत्‍यक्ष रूप से बीजेपी के समर्थक नहीं तो ‘भाजपा-विरोधी’ भी नहीं हैं. पिछले कुछ वक्‍त में कुमार अप्रत्‍यक्ष रूप से अपने बयानों में बीजेपी का कहीं न कही समर्थन भी करते दिखे. पार्टी के सदस्य और ओखला से विधायक अमानतुल्ला खां कुमार विश्वास को बीजेपी और आरएसएस का एजेंट भी बता चुके हैं. उस वक्‍त दिल्‍ली में कुमार विश्‍वास के खिलाफ पोस्‍टर भी लगे थे, जिनमें लिखा गया था ‘भाजपा का यार है, कवि नहीं गद्दार है.’ मतभेद की एक वजह उनका ‘स्वतंत्र’ दृष्टिकोण भी है. लिहाजा, पार्टी का एक बड़ा खेमा साफ़-साफ़ उनके ख़िलाफ़ था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *