नयी दिल्ली| सरकार ने कहा कि वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की गुणवत्ता से कतई समझौता नहीं करेगी और इसे बनाये रखने के लिए दीर्घकालिक उपाय कर रही है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने यहां संवाददाताआें से कहा कि हमारा उद्देश्य है कि देश के हर राज्य में एम्स जैसा कम से कम एक संस्थान अवश्य हो जो अत्याधुनिक लैब सुविधाओं से लैस हो। उन्होंने कहा कि सरकार ने विभिन्न राज्यों में एम्स बनाए हैं। एक एम्स पर लगभग 13 से 14 सौ करोड़ रुपए की लागत आयी है।
श्री नड्डा ने कहा कि एम्स की एक कार्यसंस्कृति है और सरकार का मानना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में बनने वाले एम्स में भी वही कार्यसंस्कृति हो। एम्स को राज्याे में स्नातकोत्तर संस्थानों और जिपमार से जाेड़ा गया है। उन्होंने कहा कि पटना एम्स में 304 विशेषज्ञों की रिक्तियां हैं जिनमें से 247 विशेषज्ञों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गयी थी। पर केवल 91 विशेषज्ञ ही गुणवत्ता के अनुरूप पाये गये और उन्हें ही भर्ती किया गया। बाकी 156 पद खाली रह गए।
उन्होंने कहा कि एम्स के सेवानिवृत्त ख्यातिलब्ध डॉक्टरों को एक एक संस्थान का मेंटर बनाया जा रहा है। इसके अलावा विभिन्न शहरों के एम्स के डॉक्टरों को यहां के एम्स में ट्रेनिंग दिलवायी जा रही है ताकि वहां भी दिल्ली के एम्स जैसा ‘कल्चर’ विकसित हो। उन्होंने बताया कि मशहूर कैंसर विशेषज्ञ डॉ. रथ को हरियाणा के झज्जर में बन रहे राष्ट्रीय कैंसर संस्थान का मेंटर बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि सरकार के इन प्रयासों से रायपुर, ओडिशा, जोधपुर के एम्स ठीक ढंग से काम करने लगे हैं। पंजाब के भटिण्डा में भी एम्स इसी तर्ज पर बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एम्स और अन्य संस्थानों में एक विशेष कार्यसंस्कृति की निरंतरता ही उसकी प्रतिष्ठा कायम करती है। सरकार के कदम इसी दूरदृष्टि के अनुरूप उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एम्स को जिला अस्पताल नहीं बनने देगी।