के पी मलिक
नई दिल्ली। पूरा दिन गायब रहने के बाद प्रकट हुए हिंदूवादी राजनीति के नेता प्रवीण तोगड़िया मंगलवार को रोते हुए दिखे। अस्पताल में भर्ती तोगड़िया ने कहा कि उनकी आवाज दबाने के लिए उनके एनकाउंटर की साजिश रची जा रही है। तोगड़िया पिछले कुछ समय से गुजरात में किसानों की समस्याओं पर बयानबाजी कर रहे थे। तोगड़िया जिस अमरेली जिले से आते हैं उसमें बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पायी है। अमरेली जिला जिस सौराष्ट्र इलाके में आता है वहां भी बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा है।
लेकिन अब कहानी कुछ और ही निकलकर आ रही है। सूत्रों की मानें तो सोमवार को तोगड़िया कमांडो को साथ लिए बगैर अपने सहयोगी धीरू कपूरिया के साथ अकेले निकले। धीरू के साथ तोगड़िया दोस्त घनश्याम कपूरिया के घर गए। घनश्याम के घऱ से निकलने के बाद तीनों साथ में किसी काम के लिए बाहर निकले। शाम को प्रवीण तोगड़िया ने कंपकंपी लगने की शिकायत की। घनश्याम ने अपने ड्राइवर निकुल के मोबाइल से 108 इमरजेंसी सर्विस को फोन किया। तोगड़िया ने एंबुलेंस वाले को सरकारी अस्पताल के बजाए चंद्रमणि अस्पताल ले जाने को कहा। चंद्रमणि अस्पताल का डॉक्टर तोगड़िया का क्लासमेट रहा है। दोनों ने एमबीबीएस साथ में किया था। घनश्याम, ड्राइवर निकुल और 108 एंबुलेंस के कर्मचारी के बयान दर्ज हो चुके हैं।
प्रवीण तोगड़िया ने मोर्चा खोला तो नेताओं की उनसे मिलने की झड़ी लग गयी। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल भी मिलने पहुंचे। सूत्रों की मानें तो तोगड़िया ये मान रहे थे कि उन्हें विश्व हिंदू परिषद से हटाने की साजिश की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक दिसंबर में भुवनेश्वर में हुए वीएचपी अधिवेशन में तोगड़िया को पदमुक्त करने की बात चली तो तोगड़िया समर्थकों ने हंगामा किया था। वीएचपी के अध्यक्ष पद के लिए आरएसएस ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जस्टिस कोगजे का नाम आगे किया था। बात वोटिंग तक आयी तो हंगामा बढ़ा फिर भैयाजी जोशी ने मध्यस्थता कर मामला शांत किया और तोगड़िया को फिर से अध्यक्ष चुन लिया गया।
दरअसल, नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले गुजरात में तोगड़िया की तूती बोलती थी। उस वक्त प्रवीण तोगड़िया के बंगले पर आईपीएस अधिकारियों की लंबी लाइन रहती थी। सुबह में उनको सलाम मार कर ही अफसर ड्यूटी पर जाते थे। लेकिन जब 2002 में नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने ये सब बंद करवा दिया। यहीं से बीजेपी से तोगड़िया की नाराजगी की शुरुआत हुई।
नाराजगी बढ़ी तो किसी ना किसी बहाने तोगड़िया राज्य की मोदी सरकार के खिलाफ बयानबाजी भी करते रहे। वैसे उन्होंने कभी भी साफ शब्दों में नरेन्द्र मोदी का नाम नहीं लिया लेकिन इशारा मोदी और बीजेपी के खिलाफ होता था। अब जबकि फायरब्रांड नेता खुलकर सामने आ गये हैं तो अगले कुछ दिन काफी कुछ मसाला देखने सुनने को मिलेगा। कानाफूसी ये भी हैं कि अगर ब्लैक कैट कमांडो लेकर भी प्रवीण तोगड़िया सुरक्षित नहीं है तो गुजरात में काली दाढ़ी और सफ़ेद दाढ़ी से कौन नाराज़गीं मोल लेगा, संजय जोशी तो आपको याद होंगें ही।