फूल खुशी की जगह फिक्र क्यों लाया ?

देहरादून। रोडोडेन्ड्रॉन यानी बुरांस के फूलों का खिलना उत्तराखंड में खुशी का सबब होता है. लेकिन इस बार यह लोगों के लिए चिंता की बात बन गई है. खबरों के मुताबिक आमतौर पर मार्च-अप्रैल में खिलने वाले ये फूल इस बार जनवरी में ही खिल गए हैं. बुरांस उत्तराखंड की लोकसंस्कृति का अभिन्न हिस्सा माना जाता है. पहाड़ों में इसके खिलने का मतलब होता है हाड़तोड़ सर्दी की विदाई और खुशनुमा मौसम के साथ मेलों-ठेलों के मौसम का आगमन. लेकिन इस बार बुरांस के पेड़ भरी सर्दी में ही फूलों से लद गए हैं.
इसे पर्यावरण में आ रहे बदलावों से जोड़कर देखा जा रहा है. जानकारों के मुताबिक इस साल दिसंबर जनवरी का औसत तापमान 15-20 डिग्री रहा है. यह तापमान आमतौर पर मार्च अप्रैल के आसपास होता है. साथ ही, इस बार राज्य में सर्दियों की बारिश और बर्फबारी भी बहुत कम हुई है. बुरांस के इस फूल को दिल और किडनी के इलाज से जुड़ी कई आयुर्वेदिक दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है. यही वजह है कि इसे इकट्ठा करके अपनी आजीविका चलाने वाले लोग परेशान हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक दिसंबर-जनवरी में फूल के खिलने का मतलब है कि यह पूरी तरह से विकसित नहीं होगा और इसमें रस भी कम होगा.

 

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