नई दिल्ली। कोई भी व्यक्ति यदि नशे की लत में उलझ जाता है, तो वह स्वयं को, अपने परिवार को और अपने समाज को बर्बादी के रास्ते पर ले जाता है। इसलिए जरूरी है कि समाज से इसे दूर हटाया जाए। दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता शरद श्रीवास्तव नशा मुक्ति अभियान को लेकर आगे बढ रहे हैं। एक मुलाकात में उन्होंने बताया कि देश की राजधानी दिल्ली में वह नशा मुक्ति के लिए अभियान चला रहे हैं। समाज के संवदेनशील लोागें से विचार विमर्श करके इसके लिए एक रूपरेखा बना रहे है। उन्होंने बताया कि युवाओं के देश में उन्हें सबसे अधिक साथ युवाओं का मिल रहा है।
एक सवाल के जवाब में शरद श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नशा मुक्ति के खिलाफ मुहिम की शुरूआत की है। मोदी ने अपने रेडियो संबोधन मन की बात में देश को नशा मुक्त बनाने के लिए भावनात्मक अपील की। युवा पीढ़ी को नशे के दलदल से बाहर आना चाहिए और इसकी चिंता पूरे समाज को करनी होगी। युवाओं को सोचना होगा कि जिस बुराई को वे खरीद रहे हैं, कहीं उसका पैसा उनके स्वास्थ्य के साथ ही पूरे देश और समाज को भी तबाह तो नहीं कर रहा है। नशीली दवाओं पर खर्च हुए पैसों से ड्रग्स माफिया अपना जाल फैला सकते हैं और आतंकवादी हथियार खरीदकर सीमाओं की रक्षा कर रहे जवानों का खून बहा सकते हैं।
शरद श्रीवास्तव ने कहा कि जिंदगी का गुजारा करने की आपाधापी में माता पिता के पास वक्त की कमी है। इसके बावजूद हमें बच्चों को समय देना पड़ेगा और केवल उसके परीक्षा के अंक, खाने, खेलने और दोस्ती की चिंता ही नहीं बल्कि उसके मन की बात को सुनने का भी समय निकालना होगा। परिवार ही बच्चे की पहली पाठशाला है इसलिए हर माता पिता का पहला कर्तव्य है कि बच्चों को ड्रग्स की चपेट में आने से बचाने के लिए खुद पहल करें।
शरद श्रीवास्तव ने कहा कि जिस तरह से आज हमारे देश में युवाओ का नशे की तरफ रुझान बढ़ रहा है। वह वाकई बहुत गंभीर चिंता का विषय है.।वह युवा जिसे हम अपने देश की शक्ति मानते है, जिसे हम अपने देश का उज्जवल भविष्य मानते है। उसे आज नशे के कीड़े ने ऐसा जकड़ लिया है जैसे शिकारी अपने शिकार को जकड़ता है और यह कीड़ा ऐसा होता है जो व्यक्ति को उसकी मौत के बाद ही छोड़ता है। इसलिए हमें आज ही से इसे नशे को छोड़ देना है और अपने एक खुशहाल जीवन और भविष्य के लिए एक कदम बढ़ाना है।