अभिनव चौबे एक बार फिर लेकर आए हैं रोमांचित करने वाली आर्ट प्रदर्शनी

नई दिल्ली। आर्टिस्ट अभिनव चौबे एक बार फिर अपनी सोलो एग्ज़ीबिशन (प्रदर्शनी) के साथ लौट आए हैं जिनमें पेंटिंग्स एवं कलाकृतियां (स्कल्पचर) भी षामिल हैं। इस प्रदर्शनी की शुरूआत 3 मार्च 2018 को ललित कला एकेडमी में हुई और यह 9 मार्च 2018 तक चलेगी। इस षो को क्यूरेट किया है सुषमा के बहल ने जो एक लेखिका हैं और अभी स्वतंत्र आट्र्स एडवाइजर, लेखिका और कल्चरल प्रोजेक्ट्स की क्यूरेटर के तौर पर काम कर रही हैं। इस प्रीव्यू में भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं नैचुरल गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, एफडीसीआई के प्रेसीडेंट श्री सुनील सेठी, एमिटी समूह के संस्थापक एवं चेयरमैन डाॅ. अशोक चैहान और नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत भी उपस्थित थे।
कला के संरक्षकों यानी पैट्रन्स के परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभिनव ने हमेशा ही कला की दुनिया में कुछ बड़ा करने के बारे में सोचा था। उनकी कलाकृतियां अनूठी होती हैं और उनके आंतरिक नजरिए को दर्षाती हैं। अभिनव चैबेके बहुआयामी आर्ट स्केप में विविध फ्लरिषेस (हाव भाव), ज्योमैट्रिक काॅन्टूर्स, आॅड-ईवन लाइन्स और अनिष्चित रूप काफी दिखाई देते हैं। इस कलेक्षन के तहत पेश की गई कलाकृतियां वैरिएबल मोड्स, मैटर्स और मैनिफेस्टेषंस में हैं। विभिन्न रंगों से सराबोर इन कलाकृतियों में छोटी एवं बड़ी कलाकृतियां षामिल हैं और इनके साथ ही तीन आयामी प्रयोगों में से चुनिंदा कलाकृतियां रखी गई हैं। पेंटिंग्स एवं स्कल्पचरों की यह प्रदर्शनी अभिनव के आर्टस्केप को सभी के सामने जाहिर करती है और दर्शकों को नए नजरिए से कलाकृतियों को देखने के लिए आमंत्रित करती है।
एक प्रतिभाशाली कलाकार जो पेंटर होने के साथ ही संगीतज्ञ और सेरामिसिस्ट भी है, को पे्ररणा अपनी जड़ों व परवरिष से मिलती है जो कला के निर्माण और संग्रहण से जुड़े पेषेवर लोगों के परिवार में पैदा होने से उन्हें मिली है। इससे उन्हें कला की दुनिया में नए प्रयोगों के लिए अपने अंदर झांकने के साथ ही प्रेरणा भी मिलती है। भारतीय कलाकार एस.एच. रज़ा, एफ. एन. सौज़ा, जे. स्वामीनाथन और के.सी.एस. पनिकर समेत कई सामयिक कलाकारों के काम ने अभिनव की रचनात्मकता को प्रभावित किया है। द गोल्डस्मिथ्स के बाद विम्बलडन लंदन से अपनी ग्रेजुएषन पूरी करने के बाद अभिनव को आर्ट की पढ़ाई के दौरान यूरोपीय आर्ट प्रैक्टिस से गहराई से रूबरू होने का मौका मिला। यूरोप के संग्राहलयों में पष्चिमी कलाकारों की मूल कलाकृतियों से निजी तौर पर रूबरू होने से उन्हें अपने कला ट्रैक के तौर पर एब्सट्रैक्ट जाॅनर को चुनने में मदद मिली। इसी बात ने अभिनव को रोमांचित रखा और उन्हें कला में करियर बनाने का फैसला करने में मदद की।

रचनात्मकता के साथ कलाकार के जुड़ाव और उनकी आंतरिक खोज ही वह वजह थी जिसने उन्हें बहुविध मोड में काम करने के लिए प्रेरित किया। उनके करियर ने नई दिषा ली और यह विस्तृत होकर संगीत से लेकर सिरैमिक्स से पेंटिंग तक पहुंच गया। हाल में उनकी प्रदर्षनी की सूची विस्तृत हुई और उसमें तीन आयामी प्रयोग भी षामिल हैं जो फिगर्ड फाॅर्म और ब्रान्ज स्कल्पचर के रूप में हैं। इस प्रदर्षनी के तहत पेष किए गए कलेक्षन में पेंटिंग्स और स्कल्पचर समेत विभिन्न मीडिया और आकारों के करीब 50 नई कलाकृतियां षामिल हैं। इनमें से सभी निष्चित जाॅनर से मुक्त आते हैं क्योंकि ज्यादातर कलाकृतियों में षामिल एब्सट्रैक्षन में इम्प्रेषनिस्ट कंपोजीषंस देखी जा सकती हैं और वह भी एक विवरण के साथ।

अपनी पैलेट (रंग मिलाने की मेज) के बारे में बेहद सतर्क अभिनव का कला क्षेत्र रंगों में सांस लेता है और उनसे सराबोर है। बाजार में आसानी से उपलब्ध रंगों का इस्तेमाल करने के बजाय वह खुद अपने षेड्स बनाने की मेहनत करते हैं क्योंकि विभिन्न रंगों को मिलाने से अभिनव को उनकी पसंद के षेड के रंग बनाने में मदद मिलती है। रंगों के लिए उनका प्रेम खुषनुमा पेंटिंग्स में दिखता है जहां रंग एक-दूसरे में मिलते हैं और अनगिनत रूप लेते हैं। कई हिस्सों में बेहद आंतरिक और त्वरित इस पैलेट को सावधानी से इस्तेमाल किया जाता है। उनकी कलात्मक प्रक्रिया में दिषा की स्पश्टता है जो एक संपूर्ण कंपोजीषन के तौर पर दिखने के लिए चिंतनषील संगीत रचना करती है। कुछ कलाकृतियों में मेटालिक की छाप और टेक्सचर्ड डिजाइन का संयोजन है। अक्सर, एक एब्सट्रैक्ट कलाकृति में एक जाना-पहचाना तत्व जोड़ दिया जाता है अगर ’’मेरे दिमाग में ऐसा विचार आए और कंपोजीषन की भी ऐसी मांग हो’’। कलाकार की संगीत में दिलचस्पी और उससे जुड़ाव की झलक कलाकृतियों में भी दिखती है।

इस प्रदर्षनी में अभिनव की ज्यादातर उन कलाकृतियों को पेष किया जाएगा जो उन्होंने पिछले एक-दो वर्श के दौरान बनाई हैं। यह भारत में अभिनव की दूसरी सोलो प्रदर्षनी है। प्रदर्षनी में षामिल ज्यादातर पेंटिंग्स कैनवास पर एक्राइलिक रंगों में हैं हालांकि कुछ कैनवास पर आॅयल पेंटिंग्स हैं जबकि कुछ पेंटिंग्स कागज पर भी बनाई गई हैं। जाॅनर में षामिल इतनी विविधता यह दर्षाती है कि युवा कलाकार में विविध मीडिया और आकारों में तस्वीरों, पैलेट, कंपोजीषन, आकार और टेक्सचर से खेलने की असाधारण क्षमता है।

सतह पर टेक्सचर की मार्किंग से समृद्ध, ब्राॅन्ज स्कल्पचर एक दिलचस्प कलेक्षन बनाते हैं। खुरदुरे किनारे और उत्कृश्ट पैटिना इन कलाकृतियों को और आकर्शक बनाने के साथ ही कला के विभिन्न रूपों के साथ खेलने की कलाकार की काबिलियत को दर्षाते हैं।
) के साथ लौट आए हैं जिनमें पेंटिंग्स एवं कलाकृतियां (स्कल्पचर) भी षामिल हैं। इस प्रदर्षनी की षुरूआत 3 मार्च 2018 को ललित कला एकेडमी में हुई और यह 9 मार्च 2018 तक चलेगी। इस षो को क्यूरेट किया है सुशमा के बहल ने जो एक लेखिका हैं और अभी स्वतंत्र आट्र्स एडवाइजर, लेखिका और कल्चरल प्रोजेक्ट्स की क्यूरेटर के तौर पर काम कर रही हैं। इस प्रीव्यू में भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं नैचुरल गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, एफडीसीआई के प्रेसीडेंट श्री सुनील सेठी, एमिटी समूह के संस्थापक एवं चेयरमैन डाॅ. अषोक चैहान और नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत भी उपस्थित थे।

कला के संरक्षकों यानी पैट्रन्स के परिवार से ताल्लुक रखने वाले अभिनव ने हमेषा ही कला की दुनिया में कुछ बड़ा करने के बारे में सोचा था। उनकी कलाकृतियां अनूठी होती हैं और उनके आंतरिक नजरिए को दर्षाती हैं। अभिनव चैबेके बहुआयामी आर्ट स्केप में विविध फ्लरिषेस (हाव भाव), ज्योमैट्रिक काॅन्टूर्स, आॅड-ईवन लाइन्स और अनिष्चित रूप काफी दिखाई देते हैं। इस कलेक्षन के तहत पेष की गई कलाकृतियां वैरिएबल मोड्स, मैटर्स और मैनिफेस्टेषंस में हैं। विभिन्न रंगों से सराबोर इन कलाकृतियों में छोटी एवं बड़ी कलाकृतियां षामिल हैं और इनके साथ ही तीन आयामी प्रयोगों में से चुनिंदा कलाकृतियां रखी गई हैं। पेंटिंग्स एवं स्कल्पचरों की यह प्रदर्षनी अभिनव के आर्टस्केप को सभी के सामने जाहिर करती है और दर्षकों को नए नजरिए से कलाकृतियों को देखने के लिए आमंत्रित करती है।

रचनात्मकता के साथ कलाकार के जुड़ाव और उनकी आंतरिक खोज ही वह वजह थी जिसने उन्हें बहुविध मोड में काम करने के लिए प्रेरित किया। उनके करियर ने नई दिषा ली और यह विस्तृत होकर संगीत से लेकर सिरैमिक्स से पेंटिंग तक पहुंच गया। हाल में उनकी प्रदर्षनी की सूची विस्तृत हुई और उसमें तीन आयामी प्रयोग भी षामिल हैं जो फिगर्ड फाॅर्म और ब्रान्ज स्कल्पचर के रूप में हैं। इस प्रदर्षनी के तहत पेष किए गए कलेक्षन में पेंटिंग्स और स्कल्पचर समेत विभिन्न मीडिया और आकारों के करीब 50 नई कलाकृतियां षामिल हैं। इनमें से सभी निष्चित जाॅनर से मुक्त आते हैं क्योंकि ज्यादातर कलाकृतियों में षामिल एब्सट्रैक्षन में इम्प्रेषनिस्ट कंपोजीषंस देखी जा सकती हैं और वह भी एक विवरण के साथ।

अपनी पैलेट (रंग मिलाने की मेज) के बारे में बेहद सतर्क अभिनव का कला क्षेत्र रंगों में सांस लेता है और उनसे सराबोर है। बाजार में आसानी से उपलब्ध रंगों का इस्तेमाल करने के बजाय वह खुद अपने षेड्स बनाने की मेहनत करते हैं क्योंकि विभिन्न रंगों को मिलाने से अभिनव को उनकी पसंद के षेड के रंग बनाने में मदद मिलती है। रंगों के लिए उनका प्रेम खुषनुमा पेंटिंग्स में दिखता है जहां रंग एक-दूसरे में मिलते हैं और अनगिनत रूप लेते हैं। कई हिस्सों में बेहद आंतरिक और त्वरित इस पैलेट को सावधानी से इस्तेमाल किया जाता है। उनकी कलात्मक प्रक्रिया में दिषा की स्पश्टता है जो एक संपूर्ण कंपोजीषन के तौर पर दिखने के लिए चिंतनषील संगीत रचना करती है। कुछ कलाकृतियों में मेटालिक की छाप और टेक्सचर्ड डिजाइन का संयोजन है। अक्सर, एक एब्सट्रैक्ट कलाकृति में एक जाना-पहचाना तत्व जोड़ दिया जाता है अगर ’’मेरे दिमाग में ऐसा विचार आए और कंपोजीषन की भी ऐसी मांग हो’’। कलाकार की संगीत में दिलचस्पी और उससे जुड़ाव की झलक कलाकृतियों में भी दिखती है।

इस प्रदर्षनी में अभिनव की ज्यादातर उन कलाकृतियों को पेष किया जाएगा जो उन्होंने पिछले एक-दो वर्श के दौरान बनाई हैं। यह भारत में अभिनव की दूसरी सोलो प्रदर्षनी है। प्रदर्षनी में षामिल ज्यादातर पेंटिंग्स कैनवास पर एक्राइलिक रंगों में हैं हालांकि कुछ कैनवास पर आॅयल पेंटिंग्स हैं जबकि कुछ पेंटिंग्स कागज पर भी बनाई गई हैं। जाॅनर में षामिल इतनी विविधता यह दर्षाती है कि युवा कलाकार में विविध मीडिया और आकारों में तस्वीरों, पैलेट, कंपोजीषन, आकार और टेक्सचर से खेलने की असाधारण क्षमता है।
सतह पर टेक्सचर की मार्किंग से समृद्ध, ब्राॅन्ज स्कल्पचर एक दिलचस्प कलेक्षन बनाते हैं। खुरदुरे किनारे और उत्कृश्ट पैटिना इन कलाकृतियों को और आकर्शक बनाने के साथ ही कला के विभिन्न रूपों के साथ खेलने की कलाकार की काबिलियत को दर्षाते हैं।

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