भोपाल : मध्य प्रदेश में कमलनाथ के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अब बीजेपी की नजर एक-एक वोट पर है. दलित हिंसा के बाद बीजेपी जमीनी स्तर पर दलितों में पैठ बनाने के लिए बस्ती प्रमुख तैयार कर रही है. सबसे बड़ी बात है कि बस्ती प्रमुख की जिम्मेदारी किसी राजनीतिक व्यक्ति को नहीं, बल्कि रिटायर्ड अफसरों को दी जा रही है. दरअसल, यूपी में आरएसएस के बस्ती प्रमुख एजेंटे पर बीजेपी ने काम किया था. वहां इस एजेंडे पर काम करने पर सफलता भी मिली थी. अब यही फॉर्मूला एमपी में भी लागू किया गया है. पन्ना प्रमुख के बाद बस्ती प्रमुख का नया पद बनाकर दलित वोट बैंक में पैठ बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है.
प्रदेश के 51 जिलों में दलित कमजोर बस्तियों में सामाजिक न्याय, आर्थिक सुरक्षा और अधिकारिता सुनिश्चित करने के लिए बस्ती प्रमुखों का मनोनयन किया जा रहा है. बस्ती प्रमुखों का राज्य स्तर में सम्मेलन आयोजित करने के पहले जिलों में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जायेगी. बीजेपी का कहना है कि रिटायर्ड अफसर सत्ता में लंबे समय तक रहे हैं, इसलिए उन्हें बस्ती प्रमुख की जिम्मेदारी देकर सरकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी.
बीजेपी ने प्रदेश में 50 हजार बस्ती प्रमुख बनाने का टारगेट एससी-एसटी मोर्चा को दिया है. दो अप्रैल को दलित हिंसा के बाद बीजेपी नहीं चाहती है कि उसे आगामी विधानसभा चुनाव में दलित वोट बैंक को लेकर कोई नुकसान हो. बीजेपी संगठन सरकारी अधिकारियों समेत दूसरे समाजसेवियों को अपने साथ जोड़कर उन्हें चुनाव में भुनने की कोशिश कर रहा है. सबसे पहले बस्ती प्रमुख की जिम्मेदारी रिटायर्ड अधिकारियों को दी जा रही है. इसके बाद यदि रिटायर्ड अधिकारी नहीं मिलते हैं, तो बस्ती प्रमुख का जिम्मा बुद्धिजीवी वर्ग, वकील, डॉक्टर, प्राध्यापक, इंजीनियर समेत समाजसेवियों को दिया जाएगा.
वहीं इस मामले में कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार ने सत्ता में रहने के दौरान पहले सरकारी अधिकारियों के साथ भ्रष्टाचार किया. अब बीजेपी इसी मशीनरी का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करने का प्रयास कर रही है.