
उन्होंने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव से उनके रिश्ते कभी खत्म नहीं होने वाले हैं। ‘‘ सपा के साथ यादव वोट भी नहीं टिका रहा। अगर सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों के साथ अपने लोगों को मिशनरी बनाने में सफल रहे तो साथ चलने की सोचेंगे। फिलहाल हमने उपचुनावों में अकेले लड़ने का फैसला किया है।’’
उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न हुये लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से नौ भाजपा विधायकों और सपा, बसपा के एक एक विधायक के सांसद बनने के बाद रिक्त होने वाली 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संभावित है। इन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा के अपने बलबूते चुनाव लड़ने का फैसला मायावती की अध्यक्षता में सोमवार को हुयी पार्टी नेताओं की बैठक में किया गया था। मायावती ने मंगलवार को अपने बयान के जरिये इसकी आधिकारिक पुष्टि की।
लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा के आधार पर बसपा प्रमुख ने चुनाव में हार के लिए सपा को जिम्मेदार ठहराते हुये कहा कि लोकसभा चुनाव में यादव मतदाताओं ने उत्तर प्रदेश में सपा बसपा का साथ नहीं दिया। हालांकि उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव से कोई मनमुटाव नहीं होने की भी बात कही है।