हेरेडिट्री मल्टीपल एक्सॉसटॉसिस” का सफलतापूर्वक फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग में उपचार किया

फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ किस्‍म के विकार हेरेडिट्री मल्टीपल एक्सॉसटॉसिस” से पीड़‍ित 69 वर्षीय मरीज का सफलतापूर्वक उपचार किया। इस रोग में हिप और शोल्डर ब्लेड जैसी फ्लैट हड्डियों पर मल्‍टीपल बिनाइन बोन ट्यूमर – ऑस्टियोकॉनड्रोमा की वजह से जोड़ों में दर्द होता है, विकृतियां और चलने-फिरने में परेशानी पैदा होती है। डॉ. (प्रोफेसर) अमित पंकज अग्रवालनिदेशक- ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट, फोर्टिस हॉस्पिटलशालीमार बाग के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक टीम ने यह सर्जरी की।

अस्पताल में लाए जाने के समय मरीज़ के दोनों घुटनों में काफी दर्द था। उनकी हड्डियों में कई ट्यूमर बन चुके थे जिनकी वजह से सूजन आ गई थी और जोड़ों में विकृतियां पैदा हो गई थीं। हालांकि मरीज़ को जोड़ों में सूजन की शिकायत बचपन से थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों से उनके घुटने के जोड़ों में दर्द होना शुरू हो गया। उनका दर्द बढ़ता ही जा रहा था और इसकी वजह से उनका रोज़ाना की गतिविधियां प्रभावित हो रही थीं। इसके अलावा, पहले से मौजूद ट्यूमर्स के बाद घुटनों में ऑर्थराइटिस की वजह से दोनों पैरों में विकृतियां भी पैदा हो गई थीं। वह मुश्किल से कुछ ही मीटर चल पाते थे और हर दिन उन्‍हें पेनकिलर्स की ज़रूरत होती थी। उन्होंने कई जगह अपना उपचार कराया लेकिन वह सर्जरी के लिए फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग आए।

इसके बारे में डॉ. अमित पंकज अग्रवालनिदेशक एवं यूनिट हेड- ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वॉइंटफोर्टिस हॉस्पिटलशालीमार बाग ने कहा, “बढ़ती उम्र में घुटनों का खराब होना एक सामान्य समस्या है जिसकी वजह से वृद्धों को चलने-फिरने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे छुटकारा पाने के लिए काफी संख्या में लोग घुटना प्रत्यारोपण का विकल्प चुन रहे हैं। यह सर्जरी तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है जो तब और जटिल हो जाता है जब मरीज़ को हेरेडिट्री मल्टीपल एक्सॉसटॉसिस जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इस मामले में मरीज़ को घुटने के आसपास कई घाव थे और उनके घुटनों का आकार काफी बिगड़ गया था। इससे घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी और भी अधिक चुनौतीपूर्ण तथा मुश्किल बन गई। हालांकि, व्यापक मूल्यांकन के बाद हमने सर्जरी करने का निर्णय लिया। सर्जरी में 2 घंटे का समय लगा और हमने इस जटिल सर्जरी के लिए नवीनतम गैजेट तथा तकनीकों का इस्तेमाल किया। मरीज में सुधार के लक्षण तत्काल दिखने लगे और वह सर्जरी के छह घंटे के भीतर उन्‍होंने चलना-फिरना शुरू कर दिया।”

श्री सुदर्शन कुमार जैन ने कहा, “मैं बेहद खुश हूं कि मेरी स्थिति में सुधार हुआ है। मुझे बहुत दर्द था और मैं चलने-फिरने में असमर्थ था। मैं जब 63 वर्ष का था तब से ही इस बीमारी का सामना कर रहा था और मेरी दैनिक गतिविधियां बाधित हो गई थीं। हालांकि डॉ. अमित पंकज और उनकी टीम ने अब 69 वर्ष की उम्र में नया जीवन दे दिया है। मैं फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग की पूरी टीम का उनके समर्थन के लिए धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।”

श्री महिपाल सिंह भनोटफेसिलिटी निदेशकफोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग ने कहा, “हमारी कोशिश हमेशा सर्वश्रेष्ठ क्लिनिकल देखभाल उपलब्ध कराने की रहती है और हमेशा हर मरीज़ के लिए 100 फीसदी सुधार की संभावना को ध्यान में रखते हैं। फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग के डॉक्टर हर मामले का ध्यान से परीक्षण करने के लिए और उपचार के सही तरीके के बारे में सुझाव देने के लिए जाने जाते हैं। हमारी टीम वैश्विक क्लिनिकल प्रोटोकॉल के मुताबिक काम करना जारी रखेगी और सर्वश्रेष्ठ परिणामों के लिए बेहतरीन टेक्नोलॉजी का लाभ उठाती रहेगी।”

“हेरेडिट्री मल्टीपल एक्सॉसटॉसिस” एक प्रकार की अनुवांशिक बीमारी है। यह अनुवांशिक गड़बड़ी की वजह से हो सकता है। हेरेडिट्री मल्टीपल एक्सॉसटॉसिस के जीन एक प्रोटीन पैदा करता है जो हड्डियों की वृद्धि और विकास को प्रभावित करता है जिससे एक्सॉसटॉसेस नामक बोनी ग्रोथ होती है। हेरेडिट्री मल्टीपल एक्सॉसटॉसिस का पता आम तौर पर 3 या 4 वर्ष की उम्र में चलता है जब पहला एक्सॉसटॉसिस होता है। बच्चे के बड़े होने पर ये एक्सॉसटॉसिस उभर जाता है लेकिन बच्चे के वयस्क होने पर बढ़ना बंद हो जाता है।

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