मधुबनी। कहीं विघ्नहर्ता गणेश चतुर्थी की धूम है तो मिथिलावासी चौरचन का पर्व मनाए। चौठीचान की महत्ता मिथिला में लोगों को बेहतर पता है। स्वयंसेवी संस्था अभ्युदय के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभय कुमार झा ने कहा कि लोककथाओं में यह वर्णित है कि कलंकित चन्द्रमा को आज के दिन ही मुक्ति मिली थी। इसलिए हम लोग आज पहले विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी सहित चन्द्रमा की पूजा करते हैं। उसके बाद फल आदि लेकर उनका दर्शन करते हैं। विभय कुमार झा ने कहा कि हमारा मानना है कि इस वर्ष हम लोग इस पर्व में पूरे मनोयोग से पूजा करेंगे, तो यकीनन कोरोना से मुक्ति मिलेगी।
माना जाता है कि इस पूजा के करने से भगवान चंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इसके पीछे की कहानी है कि चंद्र देव ने अपनी सुंदरता के अभिमान में भगवान गणेश का मजाक उड़ा दिया, जिसके बाद भगवान गणेश ने उन्हें श्राप दे दिया। इसके बाद भगवान गणेश को मनाने के लिए चंद्र देव नें भाद्रपद की चतुर्थी को गणेश जी की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश भगवान ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो भी इस खास मंत्र के साथ गणेश चतुर्थी को चंद्र देव का दर्शन करेगा, उसका जीवन निष्कलंक रहेगा। तभी से यह व्रत मनाया जा रहा है।
स्वयंसेवी संस्था अभ्युदय के राष्ट्रीय अध्यक्ष विभय कुमार झा ने कहा कि हम लगातार मिथिला के गांवों का दौरा कर रहे हैं। कोरोना काल में लगातार मधुबनी और दरभंगा के दर्जनों गांवों का दौरा करने का अवसर मिला है। हर जगह ग्रामीण अपने आराध्य की पूजा अर्चना में लगे हैं। इसलिए हमें उम्मीद है कि धीेरे धीरे हम लोग संकट से पार पा लेंगे। एक सवाल के जवाब में विभय कुमार झा ने कहा कि लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार ने कोरोना काल में जो भी निर्देश जारी किए हैं, लोगों को उसका पालन करना चाहिए। ये निर्देश स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सलाह पर किया गया है। इसलिए हमारा आग्रह है कि आप लोग कोरोना काल में सोशल डिस्टेनशिंग का पालन करें। जो भी एहितियाती कदम है, उसका पालन करना चाहिए।