छिटपुट रहा भारत बंद का असर, किसान से अधिक राजनीतिक दलों का रहा बंद

नई दिल्ली। किसानों के भारत बंद आह्वान का आज मिला जुला असर देखने को मिला। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं की बात छोड दें, तो पूरी दिल्ली आमदिनों की तरह खुली रहीं। दिल्ली के पुराने चांदनी चैक, सदर बाजार जैसे मार्केट पूरी तरह से खुले रहे। सिंघु बाॅर्डर, रोहतक बाॅर्डर, एनएच 24 और नोएडा गेट पर जरूर बंद का असर दिखा।

किसी भी प्रकार की अनहोनी को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस की ओर से जगह-जगह बैरिकेटिंग की गई थी। टीकरी बॉर्डर जहां पिछले 13 दिनों से सैकड़ों किसान डटे रहे। वहां भी कडी सुरक्षा के बीच दुकानें खुली रहीं। भाजपा शासित प्रदेशों में बंद का असर नहीं के बराबर दिखा। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल की ओर से कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में परिवहन सेवाएं सामान्य हैं तथा बाजार भी खुले रहे और भारत बंद का इन गतिविधियों पर कोई असर नहीं हुआ है।

 

जहां-जहां किसान प्रदर्शन कर रहे थे और बंद करवा रहे थे, वहां जय किसान, हमारा भाईचारा जिंदाबाद, किसान एकता जिंदाबाद, तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारे लग रहे थे। पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर सवेरे से ही रेल को रोका गया। इसको लेकर सवाल उठा गए। बंद का विरोध करने वालों ने कहा कि यह बात किसानों से अधिक राजनीतिक दलों का था, जो कि पूरी तरह से असफल रहा। किसानों ने 11 बजे से 3 बजे के बीच बंद का काॅल किया था, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने लाभ के लिए सवेरे से ही बंद करवाया।

बिहार में राजद नेता तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्षी दलों ने कुछ जगह बंद करवाए। उत्तर प्रदेश में सपा नेता अखिलेश यादव के नेतृत्व में प्रदर्शन और बंद करवाया गया। मध्य प्रदेश में स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने बंद को पूरी तरह से असफल बताया और कहा कि यहां किसानों को सरकार से लाभ मिले हैं।

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मौला ने कहा कि भारत बंद किसानों की ताकत दिखाने का एक जरिया है और उनकी जायज मांगों को देशभर के लोगों का समर्थन मिला है।उन्होंने कहा कि आज हमने बंद बुलाया है और अगर हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो हम अपने आंदोलन को अगले स्तर पर ले जाने को तैयार हैं।

भारतीय किसान एकता संगठन के अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाला ने सोमवार को किसानों से शांति बनाये रखने और बंद लागू करने के लिए किसी से नहीं उलझने की अपील की। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को हमारी मांगों को स्वीकार करना होगा। हम नए कृषि कानूनों को वापस लेने से कम कुछ भी नहीं चाहते।’’

कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का मंगलवार को गोवा में ज्यादा प्रभाव देखने को नहीं मिला। हालांकि विपक्षी दलों ने बंद का समर्थन किया था, लेकिन कार्यालय, बैंक, बाजार, दुकानें और शैक्षणिक संस्थान खुले रहे और सार्वजनिक परिवहन भी जारी रहा। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “कोई अप्रिय घटना न हो इसके लिए हमने राज्य भर में कड़ाई से गश्त की।” उन्होंने कहा कि राज्य में जनजीवन सामान्य रहा।

कांग्रेस, राकांपा, गोवा फॉरवर्ड पार्टी और आम आदमी पार्टी ने किसान संगठनों और ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर प्रदर्शन में भाग लिया। यह विरोध प्रदर्शन, आल इंडिया किसान सभा, अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईयूटीसी) और भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र द्वारा पणजी के आजाद मैदान में आयोजित किया गया था। नेता प्रतिपक्ष दिगंबर कामत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडनकर और जीएफपी अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। एआईयूटीसी गोवा महासचिव सुहास नाइक ने कहा, “हमने लोगों को स्वेच्छा से प्रदर्शन में भाग लेने को कहा है। किसी को दुकान या उद्योग बंद करने के लिए बाध्य नहीं किया गया है।”

 

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