World Sparrow Day 2022: इस दिन का इतिहास, महत्व और विषय यहां जानिए

 

World Sparrow Day 2022:आज गौरैया दिवस है यह हर वर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है, विलुप्त होने के कगार पर हैं गौरैयों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 20 मार्च को यह दिन मनाया जाता है। दुनिया में गौरैयों के संरक्षण और उनकी घटती संख्या के बारे में जागरूकता लाने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। एक समय था जब गौरैया हर घर के बाहर एक आम बात थी लेकिन ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि के कारण पक्षी अब विलुप्त होने के कगार पर है। इस मुद्दे को हल करने के लिए, नेशनल फॉरएवर सोसाइटी इंडिया ने इको-एसआईएस एक्शन फाउंडेशन के सहयोग से वैश्विक पहल के रूप में विश्व गौरैया दिवस की शुरुआत की।

यहां आपको विश्व गौरैया दिवस के बारे में जानने की जरूरत है
विश्व गौरैया दिवस उस पक्षी की रक्षा और संरक्षण के लिए मनाया जाता है जो अब विलुप्त होने के कगार पर है। इस दिन का उद्देश्य उन लोगों को एक साथ लाना है जो गौरैयों के लिए अपने प्यार को साझा करते हैं और सुंदरता की प्रशंसा करते हैं। घर की गौरैया एक आम दृश्य थी और हमारे घरों के पिछवाड़े में आसानी से मिल जाती थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, जैसा कि हमने प्रकृति और जैव विविधता से संपर्क खो दिया है, शहर में आम घर की गौरैया को देखना एक मुश्किल काम हो गया है।

 

विश्व गौरैया दिवस 2022 Theme

इस वर्ष विश्व गौरैया दिवस की Theme’आई लव स्पैरो’ है। विषय इस उम्मीद से प्रेरित है कि अधिक से अधिक लोग उस बंधन का जश्न मनाने के लिए आगे आएंगे जो अतीत में मनुष्यों के साथ रहा है। यह विषय इस बात को उजागर करने में भी मदद करता है कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों के लोग प्रकृति के लिए और अधिक करने के लिए एक साथ आ रहे हैं और पक्षियों और प्रजातियों की रक्षा कर रहे हैं जो अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।

गौरैया का इतिहास

पहला विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च 2010 को मनाया गया था। उसके बाद, हर साल इस दिन को दुनिया भर में गौरैयों और पर्यावरण से प्रभावित अन्य आम पक्षियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। भारत में द नेचर फॉरएवर सोसाइटी (NFS) ने विश्व गौरैया दिवस मनाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय पहल शुरू की। यह सोसाइटी फ्रांस के इको-सिस एक्शन फाउंडेशन के सहयोग से काम करती है। द नेचर फॉरएवर सोसाइटी की स्थापना एक भारतीय संरक्षणवादी मोहम्मद दिलावर ने की थी, जिन्होंने नासिक में घरेलू गौरैयों की मदद करने के लिए अपना काम शुरू किया था। उनके प्रयासों के लिए, उन्हें टाइम पत्रिका द्वारा 2008 के लिए “पर्यावरण के नायकों” का नाम दिया गया था।

मिलिए गौरैया योद्धा से

 कुलदीप मोरे जो पिछले सात आठ साल से इस क्षेत्र में लगे हुए हैं जिनकी लगातार कोशिश रहती है कि जानवरों को किस प्रकार सुरक्षित किया जा सके और उनको दुर्घटना से बचाया जा सके कुलदीप मोरे जी ने हर वर्ष 15 अगस्त पर चाइनीस मांजे के बहिष्कार के लिए अपील करते हैं क्योंकि चाइनीस मांजे से हर वर्ष किसी के गर्दन के कटने की किसी को घायल होने की यहां तक कि कईयों की मौत की खबर आ जाती है और ज्यादातर इसमें युवा शिकार होते हैं या जो लोग बाइक वगैरह चलाते हैं उन लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है कुलदीप मोरे जी अपनी पूरी टीम के साथ जीव जंतु संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत रहते हैं उनको एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की तरफ से इस समय मानद पशु अधिकारी दिल्ली प्रदेश का पद भी मिला है क्षेत्र में उन्होंने अपना काफी समय लगाया है और वह इसके प्रति लगातार जागरूकता के लिए प्रयासरत रहते हैं उनके साथी कमल कांत मिश्रा जी सरदार गुरुचरण जी का साथ उनको लगातार मिलता रहता है और वह घायल पक्षी जैसे कि कोई पेड़ में फंस जाता है उसको सुरक्षित उतरवाना उसको हॉस्पिटल में भर्ती कराना देसी श्वानों को घायलों को इलाज कराना और उनको नगर निगम की मदद से उनका स्टाइलाइज कराना

आज गौरैया दिवस है जो दिल्ली का राज्य पक्षी है  गोरैया दिल्ली से बिल्कुल विलुप्त हो चुकी है इसका मुख्य कारण यह है के क्षेत्र में फलदार वृक्ष नहीं है माताएं बहने घरों में गेहूं को साफ बहुत कम करती हैं क्योंकि पहले यह माताओं बहनों के गेहूं साफ करने के समय पर यह उनके पास आ जाती थी मोबाइल टावर इतने ज्यादा हो गए हैं इनके रेडिसन से इन्होंने दिल्ली से मुख काफी हद तक मोड़ लिया है लेकिन कुलदीप मोरे जी और उनकी टीम इन को वापस लाने के लिए जो भी इनसे भरसक प्रयास होते हैं वह करते रहते हैं जैसे देसी घोसले बनाकर पेड़ों पर लगवाना जहां यह गोरिया है दाना पानी की व्यवस्था करना  उनकी सेवा करना और लगातार वह संपर्क करते हैं लोगों से कि हमारे इन फ्रेंडली पक्षियों को किस तरीके से वापस लाएं जो पहले जैसा माहौल बन सके इसलिए कुलदीप मोरे जी क्षेत्र के लोगों से जितना हो सकता है इस कार्य में उनकी मदद करने की अपील करते हैं और जब भी किसी को कोई घायल जानवर या पक्षी पक्षी किसी को मिलता है तो कुलदीप मोरे जी का नंबर उनकी वेबसाइट से मिल सकता है उनसे संपर्क कर सकते हैं और हमारी थोड़ी सी कोशिश से किसी बेजुबान जानवर की किसी पक्षी की जान बच सकती है। और कुलदीप मोरे जी दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री गोपाल राय जी से भी अपनी पूरी टीम के साथ कई बार मिल चुके हैं और जानवर के लिए जो भी परेशानी है उसका समाधान किस प्रकार हो सकता है इस सिलसिले में भी उन्होंने उनसे संपर्क कई बार करा है और मंत्री जी ने उनको इस बारे में स्वास्थ दिलाया कि जल्दी ही वह दिल्ली में जीव जंतुओं के लिए उनके लिए उचित कदम उठाएंगे और उनकी सुरक्षा के प्रति कठोर कानून लाएंगे।

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