सत्यपाल मलिक एक अनुभवी भारतीय राजनेता और पूर्व राज्यपाल थे, जिनका राजनीतिक जीवन पांच दशकों से भी अधिक लंबा रहा। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से ताल्लुक रखने वाले मलिक समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में आए और उन्होंने कांग्रेस, जनता दल और भारतीय जनता पार्टी जैसे प्रमुख दलों के साथ काम किया।

नई दिल्ली: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को निधन हो गया। वे 79 वर्ष के थे। सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन में कई राज्यों में राज्यपाल के रूप में सेवा दी, जिनमें जम्मू-कश्मीर, मेघालय, गोवा, ओडिशा और बिहार प्रमुख हैं।
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से ताल्लुक रखने वाले सत्यपाल मलिक का संबंध प्रभावशाली जाट समुदाय से था। उनके पूर्वज हरियाणा से भी जुड़े हुए थे।
समाजवादी विचारधारा से हुई राजनीति की शुरुआत
सत्यपाल मलिक ने 1960 के दशक के मध्य में डॉ. राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर राजनीति में कदम रखा। 1980 के दशक के मध्य में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी चुना गया, लेकिन 1987 में बोफोर्स घोटाले के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।
इसके बाद उन्होंने ‘जन मोर्चा’ की स्थापना की, जो आगे चलकर 1988 में जनता दल बना।
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भाजपा से जुड़ाव और राज्यपाल पद की जिम्मेदारियाँ
सत्यपाल मलिक 2004 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए और 2012 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम का हिस्सा भी रहे।
2017 में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया। अगस्त 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर भेजा गया, जहाँ उनके कार्यकाल के दौरान 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाया गया। इसके बाद अक्टूबर 2019 में उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया गया और नौ महीने के भीतर ही उनका तबादला मेघालय कर दिया गया। 4 अक्टूबर 2022 को वे मेघालय के राज्यपाल पद से सेवानिवृत्त हुए।
सत्यपाल मलिक का सार्वजनिक जीवन अनेक राजनीतिक विचारधाराओं और जिम्मेदारियों से जुड़ा रहा। उनके निधन से भारतीय राजनीति ने एक प्रखर वक्ता और बेबाक विचारों वाले नेता को खो दिया है।