UP Assembly Election : जेवर विधानसभा में किसी के लिए राह नहीं दिखता आसान

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हिंदू मुस्लिम का नैरेटिव भले ही सेट करने की कोशिश की जा रही हो। महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा भले ही राज्य के स्तर पर चुनावी मंचों पर नहीं दिखता हो, लेकिन गौतमबुद्ध नगर के जेवर विधानसभा में लोग महंगाई और बेरोजगारी के मसले पर ही वोट करने का मन बना चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब रोजगार नहीं होगा, जीने का साधन नहीं होगा, तो हम क्या करेंगे ? हर हाथ को काम चाहिए। यह परिवार के लिए बेहद जरूरी है। जब परिवार खुशहाल होगा, तो समाज खुद ब खुद विकास करेगा।
जेवर की जनता कहती है कि यहां का विकास बसपा और समाजवादी पार्टी के शासनकाल में भी हुआ है। वर्तमान भाजपा सरकार केवल घोषणाओं की पुलिंदा है। सरकार और उसके नेता की पूरी कोशिश है कि चुनाव में हिंदू मुस्लिम के नाम पर वोटों का धु्रवीकरण हो जाए। जेवर की जनता इस झांसे में नहीं आने वाली है। हालांकि, कई लोग वर्तमान योगी सरकार की कानून व्यवस्था की तारीफ भी करते दिखे। कोरोना के दौर में केंद्र सरकार के राहत अभियान आदि से भी खुश दिखे।
बता दें कि जेवर विधानसभा में 10 फरवरी को मतदान होना है। जेवर विधानसभा सीट पर गुर्जर और मुस्लिम मतदाताओं के साथ दलित मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा ठाकुर और भाटी समुदाय भी अच्छी पकड़ रखता है। जेवर में गुर्जर और ठाकुर वोटर लगभग बराबर संख्या में है, जिनकी संख्या करीब डेढ़-डेढ़ लाख की है। दलित वोटर करीब 50 हजार, मुस्लिम और बनिया वोटर भी करीब 40-40 हजार के आसपास है।
जेवर विधानसभा सीट पर गुर्जर और मुस्लिम मतदाताओं के साथ दलित मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इस सीट पर बीजेपी और बसपा के बीच कड़ी टक्कर रही है। बीजेपी ने यहां पर जीत की हैट्रिक (1991, 1993 और 1996) लगाई थी। इसके बाद 2002, 2007 और 2012 में बसपा ने जीत हासिल की। हालांकि 2017 के चुनाव में बीजेपी से ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने जीत दर्ज की। बात कांग्रेस की करें तो उसने 1980 में यहां आखिरी बार जीत दर्ज की थी।

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