दिल्ली के बाद काठमांडू में मैथिली मचान

नई दिल्ली। इस साल के शुरुआत में प्रगति मैदान में विश्वपुस्तक मेला के दौरान अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने के बाद मैथिली मचान नेपाल की राजधानी काठमांडू में अपना झंडा बुलंद करने के लिए बेताब है। एक मंच पर लोग आएं, विचार-विमर्श करें, इसके लिए डॉ सविता खान की अगुवाई में मैथिली अभियानी लगे हुए हैं। काठमांडू पुस्तक मेला में इस बार मिथिला के कई दिग्गजों की पुस्तकें आम पाठक के लिए उपब्ध रहेगी।
डॉ सविता खान ने बताया कि पहली जून से 9 जून तक 22वें नेपाल अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला में मैथिली मचान भृकुटी मंडप के स्टॉल नंबर बीबी 28 में होगा। मैथिली मचान पर सौ से अधिक लेखकों की हजारों पुस्तकें आम पाठकों के लिए उपलब्ध है। इस मचान पर पुस्तक उपलब्धता के अलावे कई अन्य गतिविधियां भी होंगी। अभी छह विमर्श के कार्यक्रम प्रस्तावित हैं।


एक सवाल के जवाब में मैथिली मचान की डॉ सविता खान ने बताया कि दिल्ली में हमरा अनुभव उम्मीद से कहीं अधिक रहा। काठमांडू को लेकर हम बेहद उत्साहित हैं। जिस प्रकार से नए लेखक अपनी नई लेखनी से लोगों को परिचित करवा रहे हैं, वह उम्मीद जगाता है। हमारी कोशिश है कि मैथिली अपने गौरव को हासिल करें। बोलचाल की भाषा बने। सूचना क्रांति के युग में हम जब कीबोर्ड पर मैथिली लिखते हैं, एंड्रायड पर जब अपनी भाषा में टाइप करते हैं, तो यह एक नए युग का सूत्रपात हैं। उन्होंने कहा कि नए लोगों को हमें सुनना होगा। समझना होगा। वो क्या लिख रहे हैं, उसे पढ़ना होगा। उसके बाद भी हम उनके बारे में राय बना सकते हैं। हमारे पास इतिहास की थाती है, भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए हम काम तो करना होगा।
उल्लेखनीय है कि मैथिली मचान को सुलभ बनाया है कि डॉ सविता खान और अमित आनंद ने। सीएसटीएस के संस्थापक द्वय डॉ सविता खान और अमित आनंद बीते कई साल से मैथिली मचान के लिए दिन रात एक कर रहे थे। उसके बाद यह संभव हो पाया है।

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