नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व महापौर श्री महेश चंद्र शर्मा ने कहा कि सरकारी स्तर पर हिन्दी के नाम पर अधिकतर खाना पूर्ति होती है। हिन्दी पखवाड़ा और हिन्दी दिवस के अवसर पर सरकारी आयोजन होते रहे हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने अब तक हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित नहीं किया है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल अष्टम अनुसूची में भारतीय भाषाओं को स्थान देती है और अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेती है। यह उचित नहीं है।
श्री शर्मा ने कहा कि भारत सरकार हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करे, तभी इस देश में रामराज्य आएगा।
बता दें कि दिल्ली के पूर्व महापौर श्री महेश चंद्र शर्मा का ‘द हिन्दी’ काउंसिल के संरक्षक के रूप में मनोनयन किया गया। ‘द हिन्दी’ के प्रस्ताव को उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया। ‘द हिन्दी’ की ओर से उनके हिन्दी साहित्य और समाज में किए गए योगदान को देखते हुए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। ‘द हिन्दी’ की पूरी टीम ने प्रशस्ति पत्र देकर उनका सम्मान किया। इस अवसर पर ‘द हिन्दी’ के प्रबंध संपादक श्री तरुण शर्मा, प्रधान संपादक श्री ईश्वरनाथ झा, संपादक श्री सुभाष चंद्र, हिन्दी काउंसिल के श्री सचिन शुक्ला उपस्थित थे।
इस अवसर पर भाजपा नेता व दिल्ली के पूर्व महापौर श्री महेश चंद्र शर्मा ने अपने राजनीतिक, सामाजिक और साहित्यिक संस्मरण भी सुनाएं। उन्होंने कहा कि द हिन्दी जिस प्रकार से भारतीय समाज, साहित्य और संस्कार के प्रति समर्पित है, वह अनुकरणीय है। उन्होंने अपनी शुभकामना देते हुए कहा कि द हिन्दी की पूरी टीम बधाई की पात्र है। हम सभी को अपने संस्कार और समाज पर गर्व होना चाहिए। हमारे मूल्य अतुलनीय और अनुकरणीय है।