मोदी सरकार ‘गेम चेंजर’ नहीं ‘नेम चेंजर’ : कांग्रेस

नई दिल्‍ली: कांग्रेस केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लगातार हमले कर रही है। संसद के उच्च सदन राज्य सभा में सोमवार (5 फरवरी) को कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सरकार नई विकास योजनाएं लागू करने की बजाय कांग्रेस और यूपीए शासन काल में लागू योजनाओं का नाम बदल रही है। उन्होंने तंज कसा कि बीजेपी की मोदी सरकार गेम चेंजर नहीं बल्कि नेम चेंजर है। आजाद ने कहा कि साल 1985 के बाद यूपीए सरकार द्वारा जितनी भी योजनाएं लॉन्च की गई थीं, मौजूदा मोदी सरकार ने उनका नाम बदल दिया है। बता दें कि मोदी सरकार ने सबसे पहले योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग कर दिया था। अभी हाल ही में मोदी सरकार ने मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन कर दिया था। प्रधानमंत्री आवास जिस सड़क पर है उसका नाम रेस कोर्स रोड से बदलकर लोकनीति मार्ग कर दिया था।
इनके अलावा केंद्र सरकार की कई ऐसी योजनाएं हैं, जिनका नाम बदलकर मोदी सरकार ने उसे रिलॉन्च किया है। प्रधानमंत्री जन धन योजना को भी पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की योजना बताया जा रहा है। कुछ दिनों पहले कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने ट्वीट कर बताया था कि मोदी सरकार द्वारा लॉन्च की गई 23 में से 19 योजनाएं पूर्ववर्ती यूपीए सरकार द्वारा लाई गई थीं जिसे मोदी सरकार ने नाम बदलकर दोबारा लागू किया है।
उन्होंने लिखा था कि यूपीए की बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट को ही पीएम मोदी ने जन धन खाता के रूप में लॉन्च किया। इनके अलावा नेशनल गर्ल चाइल्ड डे प्रोग्राम की जगह मोदी सरकरा ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना लागू किया है। उन्होंने मौजूदा सरकार की प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, पहल, मिशन इंद्रधनुष समेत कई योजनाओं को पूर्व की यूपीए सरकार की योजना बताया था। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी सोमवार को सदन में अपना पहला स्पीच देते हुए बेरोजगारी के सवाल पर कांग्रेस की आलोचना की थी और पकौड़ा वाले बयान पर पीएम मोदी की आलोचना करने पर कहा कि पकौड़ा बेचकर जीवनयापन करना शर्म की बात नहीं बल्कि गर्व की बात है। बता दें कि पकौड़ा बेचने को पीएम मोदी ने रोजगार कहा था।

 

 

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