छत्तीसगढ़ में मलेरिया के मामलों में 65 प्रतिशत की कमी

 

रायपुर। ‘मलेरिया’ के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व स्वास्थय संगठन ने 25 अप्रैल 2008 से दुनिया भर में विश्व मलेरिया दिवस मनाते आ रहा है। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (डब्ल्यूएचओ) के रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2010 में दुनिया भर में मलेरिया संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 21.9 करोड़ थी और इससे 6,60,000 मारे गए थे। डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट-2017 के मुताबिक वर्ष 2016 में पीड़ितों की संख्या 21.60 करोड़ हो गई जबकि मरने वालों की संख्या रही 445000। मलेरिया के खिलाफ युद्ध निर्णायक जीत की ओर कदम बढ़ा रहा है। फिर भी हृदय विदारक बात यह रही है कि वर्ष 2016 में भी मरने वाले दो तिहाई से अधिक मरीज पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चें थे। यूनिसेफ के मुताबिक मलेरिया से दुनिया भर में प्रतिदिन 800 बच्चों को की मौत हो जाती है। इस प्रकार की मौतों को रोकने के लिए डब्ल्यूएचओ ने दुनिया से मलेरिया उन्मूलन के लिए वर्ष 2030 तक का लक्ष्य रखा है।
मलेरिया संक्रमण-
संक्रमित मादा एनोफ़िलीज मच्‍छर के काटने से प्लास्मोडियम नामक विषाणु शरीर के अंदर चला जाता है और संक्रमण फैलने से व्यक्ति मलेरिया से पीड़ित हो जाता है। समय पर उचित ईलाज न हो तो मौत भी हो जाती है। विश्व में मलेरिया के सर्वाधिक मामलें अफ्रीकी देशों में पाए जाते हैं। विश्व में सर्वाधिक 27 प्रतिशत मरीज नाइजेरीया में पाए गए हैं जबकी भारत में यह आंकड़ा 6 प्रतिशत रह है जो कि दक्षिण एशिया के लिहाज से सर्वाधिक है।2016 में वाईवैक्स मलेरिया के 85 फीसदी मामले सिर्फ पांच देशा में सामने आए। ये देश हैं-अफगानिस्तान, इथोपिया, भारत, इंडोनेशिया और पाकिस्तान। भारत के बस्तर में इसके कुछेक मामले प्रकाश में आए हैं।
भारत में मलेरिया का इतिहास-
मच्छर और मलेरिया जुरासिक युग से ही पृथ्वी पर मौजूद है। सुमेरियन सभ्यता, हरप्पा सभ्यता से लेकर कुल मिलाकर सभी सभ्यताओं में इसका जिक्र है। भारत में जन स्वास्थ्य की दृष्टि से मलेरिया सदैव से खतरा रहा है। स्वतंत्रता के समय 33 करोड़ आबादी में से 7.5 करोड़ यानी कुल जनसंख्या का 20 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सा मलेरिया से पीड़ित था। अप्रैल, 1953 में सरकार ने ‘राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया पर बाद में जाकर कार्यक्रम का प्रभाव सीमित रह गया। 1976 में मलेरिया के 64.70 लाख मामले दर्ज किए गए। 2016 में भारत में 331 व्यक्तियों की मौत मलेरिया से हो गई। इसकी गंभीरता को भांपते हुए 11 फरवरी, 2016 को भारत सरकार ने मलेरिया को जड़ से खत्म करने के लिए ‘राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम’ का शुभारंभ किया है।
जवान और मलेरिया
भारत में ओडिसा के बाद छत्तीगढ़ ऐसा राज्य है जहां मलेरिया के सर्वाधिक मरीज पाए जाते हैं।वर्ष 2017 ओडिसा में मरीजों की संख्या थी 147286, छत्तीसगढ़ में यह आंकड़ा 37768 थी तो झारखंड में 34556। ये तीनों राज्य ऐसे हैं जो मलेरिया के साथ साथ नक्सली मसले से भी पीड़ित है और यहां पर भारी संख्या में जवान तैनात हैं । गृह मंत्रालय की आंकड़ो पर गौर करें तो मलेरिया के कारण 2009-14 तक में 102 जवानों की मौत मलेरिया के कारण हुई। वर्ष 2015-17 में मलेरिया से मरने वाले जवानों की संख्या 20 थी। इस लिहाज से देखें तो छत्तीसगढ़ सरकार के लिए नक्सल और मलेरिया को काबू करना राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती रही है। जिस पर राज्य सरकार ने संवेदनशीलता से कार्य किया है।

छत्तीसगढ़ सरकार और मलेरिया उन्मूलन
छत्तीसगढ़ भारत में सर्वाधिक जंगलों से आच्छादित क्षेत्रों में से एक है और कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पहुंच पाना काफी दुश्कर है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने 2005 में मलेरिया के खतरों को देखते हुए उसके उन्मूलन के लिए वर्ष 2015 के मॉनसून के महीने में एक प्रदेशव्यापी अभियान शुरू किया। इसके तहत 27 में 23 जिलों में सघन अभियान चलाया गया। 2000 गावों में मासक्विटो रिपेलेन्ट ( मच्छर भगाओ) दवाओं का छिड़काव किया गया, दवा युक्त मच्छरदानी बांटी गई, संक्रमित लोगों का रक्त जांच किया गया। उसके बाद उनका पर्याप्त उपचार किया गया। इस प्रदेशव्यापी अभियान का आगाज मुख्यमंत्री ने डॉ. रमन सिंह खुद आगे होकर किया। आज भी स्कूल कैंप, हाट, बाजार में कैंप विशेष कैंप लगाई जाती है। मलेरिया संक्रमित व्यक्तियों जिनमें गर्भवती महिलाएं शामिल है उनको उप-स्वास्थय केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक में तुरंत चिकित्सा मुहैया करवाई जाती है। वर्ष 2017 से जवानों की मौत मलेरिया से ना हो इसके लिए अर्धसैनिक बल के कैंप के पेरामेडिकल स्टाफ को मलेरिया के जांच एवं उपचार के लिए प्रशिक्षित किया गया तथा उन्हें मलेरिया किट एवं दवाइयां वितरित की गई है। इन सबका सकारात्मक परिणाम मलेरिया के मामले में 65 प्रतिशत कमी के रूप में भी देखने को मिला है। वर्ष 2013 छत्तीसगढ़ में मलेरिया के 1,10,145 मामले सामने आये वहीं 2017 में यह आंकड़ा 37,768 तक सिमट गया। इस लिहाज से कहा जा सकता है राज्य सरकार ने मलेरिया उन्मूलन के संदर्भ में काफी अच्छा कार्य किया है।

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