जलपाईगुड़ी। जलपाईगुड़ी जिले में स्थित एशिया के दूसरे सबसे बड़े चेंगमारी चाय बागान के गेट पर मंगलवार रात अनिश्चितकालीन बंदी का नोटिस लगा दिया गया जिससे यहां काम करने वाले तकरीबन छह हजार स्थायी व अस्थायी श्रमिक बेरोजगार हो गये। इस कार्यस्थगन के पीछे पिछले सप्ताह हुए श्रमिक पक्ष और प्रबंधन का विवाद प्रमुख वजह बताया गया है।
उल्लेखनीय है कि गत सप्ताह मंगलवार को चाय बागान के फैक्टरी श्रमिकों को रविवार को काम करने तथा सोमवार को छुट्टी लेने की बात पर भारी विवाद हुआ था। इस दौरान श्रमिकों की ओर से पथराव किया गया जिसमे बागान के तीन संचालक जख्मी हुए थे। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप व मैनेजर द्वारा पुरानी प्रथा जारी रखने के लिखित आश्वासन के बाद परिस्थिति शांत हुई थी। अशांति व असुरक्षा की बात कहकर बागान प्रबंधक चेंगमारी छोड़कर चले गये थे। अगले दिन यानि बुधवार को प्रबंधन ने इस बाबत नागराकाटा थाने में एफआईआर भी दर्ज करवायी थी।
वहीं श्रमिक संगठनों की ओर से बागान बंद कर देने के फैसले की कड़ी आलोचना की गयी है। मालबाजार एसडीओ सियाद एन ने बताया कि उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत कराया गया है। प्रबन्धन से बातचीत कर चाय बागान को पुन: खोलने की दिशा में पहल की जा रही है।
नागराकाटा ब्लॉक कमेटी के तृणमूल अध्यक्ष तथा बागान के निवासी अमरनाथ झा ने बताया कि पिछले सप्ताह सोमवार को श्रमिकों को भड़काकर उनसे विरोध करवाने के बाद किसी को परिस्थिति को नियंत्रित करते नहीं देखा गया। इससे कुछ अनचाही घटना घट गयी।
पिछले शुक्रवार को लुकसान ग्राम पंचायत बोर्ड गठन के बाद से चेंगमारी में अशांति का माहौल शुरू हो गया। जिस काम को लेकर वहां विरोध प्रदर्शन हुआ उस मामले पर श्रमिकों के साथ मालिकपक्ष का कोई समझौता नहीं हुआ। श्रमिकों को बरगलाया जा रहा है। वहीं मालिक संगठन टाई के डुआर्स शाखा के सचिव राम अवतार शर्मा का कहना है कि परिस्थिति काफी जटिल हो चुकी है ।
नागराकाटा के विधायक तथा तृणमूल मजदूर यूनियन के महासचिव सुकरा मुंडा ने बताया कि पिछले सप्ताह चेंगमारी में उत्पन्न समस्या का समाधान कर दिया गया था। इसके बावजूद बागान प्रबंधन का यह फैसला दुर्भाग्यजनक व श्रमिक हित विरोधी है। प्रशासन को पूरे मामले की जानकारी दी गयी है। बागान खुलवाने का प्रयास किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है की यह बागान एशिया में दूसरा सबसे बड़ा चाय बागान है. इस पर लगभग 20 हजार लोग निर्भर हैं। कैरन व धरनीपुर जैसे दो बंद चाय बागानों के श्रमिकों के रोजगार का भी यह बागान एकमात्र जरिया है। इसके साथ ही लाल झमेला बस्ती निवासी भी इसी बागान पर निर्भर हैं। ऐसे में बागान बंद करने के प्रबंधन के फैसले से पूरे इलाके में हताशा का माहौल बना हुआ है।