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छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा में अपराजेय नहीं हैं। छिंदवाड़ा में ही उन्हें भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा ने 1997 के लोकसभा उपचुनाव 38 हजार 680 मतों से हराया था। छिंदवाड़ा लोकसभा शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है। सिर्फ एक बार ही यहां भाजपा कांग्रेस के व्यूह को भेद पाई है। स्वाधीन भारत में लोकसभा गठन के समय सन 1952 में पहले आम चुनाव में यहां कांग्रेस के उम्मीदवार रायचंद भाई शाह और निर्दलीय उम्मीदवार पन्ना लाल भार्गव के बीच मुकाबला हुआ था। इसमें रायचंद को 69 हजार 997 और पन्ना लाल को 35 हजार 742 मत मिले थे। रायचंद 34 हजार 255 वोटों के अंतर से विजयी हुए थे। इसी तरह 1957 में दूसरी लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार नारायण वाडीवा ने प्रजा समिति के संग्राम शाह राधे शाह को 69 हजार 923 वोट के अंतर से शिकस्त दी थी। इस चुनाव में नारायण वाडीवा को 01 लाख 21 हजार 652 और संग्राम शाह को 51 हजार 729 वोट मिले थे।
यह ऐसा चुनाव था जिसमें छिंदवाड़ा से दो सांसद थे, एक अनारक्षित और एक आरक्षित। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार भीकूलाल लक्ष्मीचंद ने प्रजा समिति के ही गौरी शंकर मिश्रा को 70 हजार 586 वोट से हराया था। भीकूलाल को 01 लाख 36 हजार 631 और गौरी शंकर को 67 हजार 45 वोट मिले थे। इसी तरह सन 1962 में तीसरी लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के ही भीकूलाल लक्ष्मीचंद दोबारा चुने गए। वह जनसंघ के उम्मीदवार एसएस मुखर्जी को 70 हजार 886 वोट से हराकर संसद में पहुंचे थे। भीकूलाल ने 01 लाख 22 हजार 887 और एसएस मुखर्जी को 52 हजार 01 वोट ही मिल पाए।
1967 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने गार्गी शंकर मिश्रा को टिकट दिया जिसमें उन्हें 86 हजार 171 वोट मिले, वहीं जनसंघ के हरिकृष्ण अग्रवाल को 38 हजार 188 वोट मिले। इस चुनाव में 47 हजार 983 वोट के अंतर से कांग्रेस विजयी हुई। 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा गार्गी शंकर मिश्रा को मौका दिया। उनके खिलाफ जनसंघ के पुरुषोत्तम साहू ने चुनाव लड़ा। गार्गीशंकर मिश्रा को 02 लाख 59 हजार 847 वोट मिले तो पुरुषोत्तम साहू को 50 हजार 613 वोट हासिल हुए। गार्गी शंकर यह चुनाव 01 लाख 84 हजार 234 वोट के अंतर से जीत गए। 1977 के चुनाव में गार्गीशंकर मात्र 2369 वोट के अंतर से ही जीत पाए। इस चुनाव में भारतीय जनता दल के उम्मीदवार प्रतुलचंद्र द्विवेदी को 97 हजार 77 और गार्गीशंकर को 99 हजार 396 वोट मिले थे।
इसके बाद सन 1980 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ का छिंदवाड़ा में पदार्पण हुआ। इस चुनाव में कमलनाथ ने 01 लाख 47 हजार 779 वोट हासिल किए,वहीं जनता पार्टी के प्रतुलचंद्र द्विवेदी को 77 हजार 648 मत मिले। कमलनाथ 70 हजार 131 वोट से चुनाव जीत गए। इसके बाद कांग्रेस ने लगातार तीन बार कमलनाथ को यहां से उम्मीदवार बनाया। वर्ष 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीदवार बदलकर रामकिशन बत्रा को टिकट दिया। रामकिशन को 81 हजार 21 और कमलनाथ को 02 लाख 34 हजार 846 वोट मिले। भाजपा 01 लाख 53 हजार 825 मतों के अंतर से चुनाव हार गई। इसके बाद 1989 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ ने 02 लाख 11 हजार 799 वोट हासिल किए, वहीं जनता दल के उम्मीदवार माधवलाल दुबे को 01 लाख 71 हजार 695 मत प्राप्त हुए। माधवलाल 40 हजार 104 वोट के अंतर से चुनाव हार गए।
1991 में भाजपा ने युवा नेता चौधरी चन्द्रभान सिंह को मौका दिया। उन्हें 01 लाख 34 हजार 824 वोट प्राप्त हुए, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार कमलनाथ ने 02 लाख 14 हजार 456 वोट हासिल किए। कमलनाथ 79 हजार 632 वोट से चुनाव जीत गए। इसके बाद 1996 का लोकसभा चुनाव कमलनाथ की पत्नी अलकानाथ ने लड़ा। इस चुनाव में भी भाजपा ने चौधरी चंद्रभान सिंह को दोबारा मौका दिया। इस बार भी चंद्रभान 21 हजार 382 वोट से हार गए। चन्द्रभानसिंह को 02 लाख 60 हजार 32 और अलकानाथ को 02 लाख 81 हजार 414 वोट मिले। 1997 के चुनाव में भाजपा ने वरिष्ठ नेता सुंदरलाल पटवा को छिंदवाड़ा से उतारा। उन्होंने इतिहास रचते हुए कमलनाथ को 38 हजार 680 वोटों से शिकस्त दी। इस चुनाव में कमलनाथ को 03 लाख 07 हजार 222 मिले, तो वहीं सुंदरलाल पटवा को 03 लाख 44 हजार 902 मत हासिल हुए।
इसके एक साल बाद 1998 में हुए लोकसभा चुनाव में कमलनाथ फिर से विजयी हुए। कमलनाथ को 04 लाख 06 हजार 249 और सुंदरलाल पटवा को 02 लाख 52 हजार 851 वोट मिले। यह चुनाव 01 लाख 53 हजार 398 वोट के अंतर से कमलनाथ जीत गए। एक साल बाद 1999 में फिर हुए लोकसभा चुनाव में कमलनाथ ने 03 लाख 99 हजार 904 वोट हासिल किए, वहीं भाजपा उम्मीदवार संतोष जैन को 02 लाख 10 हजार 976 मत मिले। कमलनाथ यह चुनाव 01 लाख 88 हजार 928 वोटों के अंतर से जीत गए।
सन 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में कमलनाथ को टक्कर देने के लिए भाजपा ने दिग्गज नेता प्रहलाद पटेल को चुनाव में उतारा। प्रहलाद 63 हजार 701 वोट के अंतर से चुनाव हार गए। इस चुनाव में प्रहलाद को 02 लाख 44 हजार 732 और कमलनाथ को 03 लाख 08 हजार 433 वोट मिले। 2009 के संसदीय चुनाव में कमलनाथ को 04 लाख 09 हजार 736 और भाजपा के मारोतीराव खवसे को 02 लाख 88 हजार 616 वोट मिले। खवसे यह चुनाव 01 लाख 21 हजार 222 वोट के अंतर से हार गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा चौधरी चन्द्रभानसिंह को कमलनाथ के खिलाफ चुनाव में उतारा। इस चुनाव में चौधरी चन्द्रभानसिंह को 04 लाख 218 वोट मिले और कमलनाथ को 05 लाख 755 वोट मिले। कुल मिलाकर अब तक हुए लोकसभा चुनाव में यहां स्वतन्त्रता के बाद से ही कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। अब देखना है कि वर्तमान लोकसभा चुनाव में जनता किसको चुनती है। वैसे माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए यह स्वर्णिम अवसर है।