नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट की एडवोकेट नवरतन चौधरी कहती हैं कि आज हर नारी सशक्त है, वह अपने कर्तव्यों का बखूबी निर्वहन कर रही है। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मैं कहना चाहूंगी कि समाज का हर सदस्य अपने आस – पास मौजूद हर महिला को पूर्ण सम्मान दे। महिला आपकी माँ, बहन, पत्नी, या पड़ोसी किसी भी रूप में हो सकती है। अगर आज इस समाज में नारी का अस्तित्व नहीं होता, तो शायद हम भी नहीं होते, इसलिए नारी सम्मान सर्वोपरि है। एक और बात, मेरा जन्म खुद उत्तर प्रदेश के एक सुदूर ग्रामीण परिवार में हुआ, जहां मैंने हर चीज को काफी नजदीक से देखा। गरीबी, कठिनाई, पढ़ाई, दवाई कुछ भी अछूता नहीं रहा है। मैं यह भी कहना चाहूंगी कि महिलाओं की शिक्षा पर भी आज ध्यान देने की काफी जरूरत है, क्योंकि सुदूर इलाकों में जहां काफी लड़कियाँ सुविधाओं के अभाव या अन्य कारणों की वजह से पढ़ाई बीच में ही रोक देती है, उन्हें अपनी पढ़ाई को पूरा करना चाहिए, क्योंकि बेटी जब पढेगी तभी आगे बढ़ेगी। इसके लिए खासकर मैं आदिवासी, वनवासी एवं अभावग्रस्त लोगों की शिक्षा के लिए काम कर रही हूँ। मेरा मानना है कि दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को आज खत्म करने की जरूरत है। मैं हर माँ बाप से निवेदन करूंगी कि आप अपने बच्ची को पढ़ा कर उस मुकाम पर पहुंचाएं, जहाँ से उसे अपनी पहचान मिले। वह सफलता का एक नया अध्याय लिखे, क्योंकि जब बेटी के अपने हाथ मजबूत होंगे, तो दहेज लोभियों के हाथ छोटे पड़ जाएंगे, आज पढ़ी लिखी लड़की है रोशनी घर की।
एडवोकेट नवरतन चौधरी ने कहा कि आमतौर पर लोगों की यह धारणा है कि पुरुष महिलाओं से ताकत में ज्यादा होते हैं और काफी हद तक ये बात सही भी है। लेकिन एक नए शोध में यही बात सामने आई है कि जब बात स्टेंमना की हो तो महिलाएं, पुरुषों को पीछे छोड़ देती हैं। इस शोध के मुताबिक महिलाओं में पुरुषों की तुलना में ज्यादा स्टेमिना होता है। कनाडा स्थति यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर एक खास शोध किया और पाया कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में व्यायाम के बाद कम थकान होती है। इस शोध में शोधकर्ताओं ने एक ही उम्र और बैकग्राउंड के महिलाओं और पुरुषों को शामिल किया था।