विश्व योग दिवस : स्वास्थ्यपूर्ण दिल के लिये छह योगासन

हर साल 21 जून को मनाये जाने वाले विश्व योग दिन का ये पांचवा साल है | सहक्रियता, युवा, शांती जैसी विभिन्न संकल्पनाओं के साथ पिछले चार साल में ये दिन बहुत ही कामयाबी से मनाया गया | इस साल के विश्व योग दिन की संकल्पना है, ‘दिल के लिये योग’ | अच्छी तरह से कार्य करने वाला दिल हमारे शरीर की रक्तवहन यंत्रणा से रक्त की अविरत आपूर्ति करता रहता है | इस प्रकार का अविरत रूप से रक्त पहुँचाना हमारे शरीर के टिश्यूजको (ऊतक) ऑक्सिजन और पोषक तत्त्व मिलने के लिये तथा कार्बनडाय ऑक्साईड और अन्य बेकार घटकों को निकालकर शरीरका नियमित कार्य चालू रखने के लिये जरुरी होता है | कलेस्ट्रॉलका इस्तेमाल यद्यपि व्हिटॅमिन डी और कुछ हार्मोन्स के संयोग के लिये होता है, फिर भी रक्त धमनीयों के अन्दर वाले पृष्ठस्तर पे अतिरिक्त प्रमाण में जमा हुआ कलेस्ट्रॉल, दिल को होनेवाली रक्त की आपूर्ति को कम कर सकता है | यही घटक बाद में दिल की विभिन्न बीमारियों का भी कारण बन सकता है |

स्वास्थ्यपूर्ण जीवनशैली की यात्रा में योग एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है | अपना शरीर प्रमाणबद्ध रखने का तथा मन की शांती का ये एक प्राचीन, परंपरागत मार्ग है | पूरे विश्व के शहर संस्कृती का आज योग एक अभिन्न अंग बन चुका है | अभ्यास में ऐसा देखा गया है की, योग की वजह से किसी भी साईड इफेक्टस के सिवा कुदरती रूप से कलेस्ट्रॉल कम होने में मदद होती है, तथा व्यायाम के एक परिणामकारक प्रकार के तौर पर हररोज योगासन किये जा सकते है | इसके अलावा, चयापचय विकृती (मेटॅबॉलिक सिंड्रोम) कम करने में योगासन से मदद मिलती है जिस से दिल की बीमारी, स्ट्रोक और टाईप-२ मधुमेह का खतरा कम होता है |

नीचे दिये गए योगासनों की वजह से आप का दिल निरोगी रहने में मदद होगी और कलेस्ट्रॉल का प्रमाण भी नियंत्रण में रहेगा |

१. कपालभाती प्राणायाम: कपाल = माथा; भाती = चमकने वाला ; प्राणायाम = साँस लेने का तंत्र. इस योगासन में जोर से साँस की प्रक्रिया की जाती है, जिस में साँस लेने के मुकाबले साँस छोड़नेपर ध्यान केंद्रित किया जाता है | इस क्रिया से चयापचय का प्रमाण बढ़ता है, जिस से शरीर के जहरीले द्रव्य निकल जाते है, वजन कम होने में मदद होती है, तथा पचनमार्ग के कार्य में सुधार आता है |

२.चक्रासन: चक्रासन या पहिये के आकार जैसा दिखने वाला ये आसन मुख्य रूप से पेट के अवयवों को तनाव देने का और मालिश करने का कार्य करता है और कब्ज कम करने में मददगार सिद्ध होता है | इसके अलावा यकृत के कार्य में सुधार आता है जिस से अतिरिक्त चरबी और कलेस्ट्रॉल कम होने में सहाय्यता मिलती है |

३. शलभासन: शलभासन ये शब्द संस्कृत के ‘शलभ’ शब्द से तैयार हुआ है जिसका अर्थ टिड्डा या झींगूर होता है | ये आसन किसी टिड्डे के आकार जैसा दिखता है | इस आसन में पेट पर लेटे हुए पैर और पीठ के मांसपेशीयों को व्यायाम देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है | इस आसन की वजह से पीठ, कंधे और हाथ मजबूत होने में मदद होती है और पेट में खीचाँव निर्माण होने से पेट के मांसपेशीयों को व्यायाम मिलकर पाचन में सुधार आता है |

४. सर्वांगासन: इसका अर्थ होता है शरीर के सभी भागों का आसन | ये एक ऐसा योगासन है जिस में आपका पूरा शरीर कंधे पर तोले हुए शरीर के सभी भागों के कार्य पर प्रभाव डालने के लिये प्रयास किया जाता है | ये आसन मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिये बहुत फायदेमंद है, जिस से दिल स्वास्थ्यपूर्ण रखने में मदद होती है |

५. पश्चिमोत्तानासन: नीचे बैठकर और फिर आगे झुककर किया जानेवाला ये योगासन हॅमस्ट्रिंग को (घुटने के पिछले मांसपेशीयोंको जोड़नेवाला रस्सी जैसा स्नायू) अच्छा व्यायाम देता है, यकृत और किडनी के कार्य में उत्तेजना पैदा करता है, मोटापा कम करता है और पेट की अतिरिक्त चरबी कम करने में मदद करता है |

६. अर्धमत्स्येंद्रासन: यकृत के कार्य को उत्तेजना देना और बदहजमी में मदद करने के अलावा उस आसन से पेट के भागों को मालिश होती है और आपके रीड की हड्डी और लचीली होती है |

यदि आपने योगासन की सहाय्यता ली तो कलेस्ट्रॉल की समस्या को छुडाना आसान होगा, लेकिन उस के लिये आज से ही शुरुआत करनी होगी | फिर भी योग पर पूरी तरह से निर्भर होना नही चाहिये | आपके डॉक्टर की सलाह के सिवा कोई भी दवाई लेना बंद ना करे | आपके कलेस्ट्रॉल की समस्या छुडाने के लिये योग एक अतिरिक्त विकल्प है, ये जान लीजिये | आपकी आवश्यकता नुसार और शरीर की अवस्था नुसार आपको लागू होनेवाले योगासनों का नियोजन करना ना भूले |

(इस लेख का योगदान इंडस हेल्थ प्लसकी प्रतिबंधात्मक स्वास्थ्यसेवा तज्ञ श्रीम. कांचन नायकवडी ने दिया है |)

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *