सर्वाइकल कैंसर को समाप्त करने के प्रयासों में लाएं तेजी : डब्ल्यूएचओ

 

नई दिल्ली  विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ)ने अपने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से वर्ष 2030 तक सर्वाइकल कैंसर की समाप्ति के लिए किये जा रहे प्रयासों में तेजीलाने का अनुरोध किया है।  दिल्ली में डब्ल्यूएचओ रीजनल कमिटी के 72वेंसत्र में डब्ल्यूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘‘सर्वाइकल कैंसर की बढ़ती समस्या के निदान के लिये देशों को हर जगह, सभी के लिए टीकाकरण, जाँच, रोग का पता लगाने और उपचार सेवाओं का विस्तार करना चाहिये।’’

सर्वाइकल कैंसर इस क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य की एक बड़ी समस्या है। वर्ष 2018 में सर्वाइकल कैंसर के लगभग 158,000 नये मामले सामने आए और 95,766 लोगों की मौत हुई, यह कैंसर का तीसरा सबसे आम प्रकार है। कैंसर के जोखिम के कारकों का निदान और इसके अस्तित्व को कम करना वर्ष 2014 से इस क्षेत्र की प्रमुख प्राथमिकता है। इस क्षेत्र के सभी देश प्री-कैंसर्स की जाँच और उपचार के लिये प्रयास कर रहे हैं। इस क्षेत्र के चार देशों- भूटान, मालदीव्स, श्रीलंका और थाइलैण्ड ने राष्ट्रीय स्तर पर एचपीवी वैक्‍सीन पेश किया है।

क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, ‘‘हमें जाँच, उपचार सेवाओं और रोग के लक्षण कम करने के उपायों में क्षमता और गुणवत्ता बढ़ाने की जरूरत है। ह्यूमन पैपिल्लोमा वायरस के लिये टीकाकरण, प्री-कैंसर की जाँच और उपचार, रोग का शीघ्र पता लगाना, अर्ली इनवैसिव कैंसर्स का त्वरित उपचार और रोग के लक्षण कम करने के उपाय सर्वाइकल कैंसर के निदान में प्रभावी सिद्ध हुए हैं।

सदस्य देश अंतरिम वैश्विक लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं, यह लक्ष्य हैं- वर्ष 2030 तक 15 वर्ष की आयु तक की 90 प्रतिशत लड़कियों कोह्यूमन पैपिल्लोमा वायरस (एचपीवी) का टीका लगाना, 35 और 45 वर्ष की 70 प्रतिशत महिलाओं का हाई-प्रीसिजन टेस्ट और सर्वाइकल रोग से पीड़ित 90 प्रतिशत महिलाओं का उपचार और देखभाल।

क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि राष्ट्रीय सर्वाइकल कैंसर नियंत्रण योजनाओं को मजबूत करने की जरूरत है, जिनमें प्रतिरक्षण, जाँच, उपचार, देखभाल और रोग के लक्षण कम करने के उपायों के लिये उपयुक्त रणनीतियाँ और दिशा-निर्देश शामिल हैं। डॉ. खेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘‘लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये इन सेवाओं को वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज के अनिवार्य सेवा पैकेज में शामिल करना जरूरी है।’’

डब्ल्यूएचओ सर्वाइकल कैंसर के अंत को प्राथमिकता दे रहा है, क्योंकि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की जान के सबसे बड़े खतरों में से एक है।

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