महिषी (सहरसा)। जब ध्येय अटल हो और लोगों का साथ हो, तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता है। समाज और संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर सेंटर फाॅर स्टडीज ऑफ ट्रेडिशन एंड सिस्टम्स, नई दिल्ली 27 दिसंबर को ऐतिहासिक शक्तिपीठ महिषी के मंडन धाम में मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन कर रहा है। आयोजक की ओर से कहा गया है कि कोरोना के कारण साल हम तीन दिवसीय आयोजन एक ही स्थल पर नहीं कर रहे हैं। महिषी के मंडल धन में औपचारिक उदघाटन होगा। उसके बाद 29 और 30 दिसंबर को आॅनलाइन सत्र होंगे, जिसमें अलग-अलग सत्रों में विशेषज्ञ अपनी बात रखेंगे। सभी सत्र का लाइव प्रसारण किया जाएगा। कोरोना को देखते हुए आयोजन समिति की ओर से ऐसो निर्णय लिया गया है।
सहरसा में आयोजित एक संवादाता सम्मेलन में मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजन समिति की ओर से कहा गया है कि यह वर्ष कोरोना महामारी संक्रमण का है। इसलिए हमने जनहित और समाजहित में छोटे स्तर पर मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन कर रहे हैं। बीते वर्ष हमने राजनगर और सौराठ में ग्राम युग्म की अवधारणा के साथ कार्यक्रम किया था। शक्तिपीठ महिषी में हम मां उग्रतारा से जगत कल्याण की कामना कर रहे हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि सबका कल्याण होगा। इसके साथ ही मंडन धाम की पावन भूमि से जो ज्ञान का प्रकाश पूरी दुनिया में फैला, उस माटी को नमन करते हुए इस वर्ष हम आयोजन की शुरुआत कर रहे हैं। मिथिला का ज्ञान परंपरा अब वैश्विक हो रहा है।
आयोजकों की ओर से कहा गया है कि मधुबनी लिटरेचर फेस्टिवल अपने अलग-अलग सत्रों के लिए लोगों के बीच कौतुहल का विषय बना रहता है। इसलिए हमने इस वर्ष भी कुल छह सत्र का आयोजन किया है। आयोजन समिति का कहना है कि इन सत्रों में संबंधित विषय के जानकार और विशेषज्ञ अपनी बातों को रखेंगे।
यह आयोजन महिषी में ही क्यों ? इसके जवाब में आयोजन समिति का कहना है कि महिषी पंडित मंडल मिश्र और विदुषी भारती की धरती है। महिषी शक्तिस्वरूप तारा की माटी है। जब हमने राजनगर में किया, तो पूरी दुनिया को हम यह बताने में सफल रहे कि मिथिला की राज वैभव कैसा था। सौराठ के माध्यम से हमने मिथिला के पंजी व्यवस्था के बारे में लोगों को जागरूक किया। इस साल हम मंडन धाम आए हैं। हमें पूर्ण विश्वास है कि जो पीढी मंडन धाम के बारे में अब तक नहीं जानती है, वह जरूर इसके बारे में जानकारी हासिल करेगी और मिथिला की ज्ञान परंपरा को लेकर लोग विमर्श करेंगे। हमारा मकसद लोगों को अपने लोक के बारे में सोचने, समझने और विमर्श करने के लिए पे्ररित करना है।