कृषि क्षेत्र में एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता : उदय शंकर, अध्यक्ष फिक्की

नई दिल्ली। सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए कृषि क्षेत्र के सुधारों पर टिप्पणी करते हुए फिक्की के अध्यक्ष उदय शंकर ने कहा, “इस तरफ नए दृष्टिकोण से विचार करने की आवश्यकता है। सिर्फ उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य की तरफ पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय किसानों के लिए उच्च आय प्राप्ति के अवसर पैदा करना होगा। इसके लिए खेती की लागत को कम करना, उत्पादकता के स्तर में सुधार और कृषि-उपज के लिए उचित और लाभ देने वाले दामों के लिए आवश्यक उपाय करने होंगे। समय के साथ सरकार ने खेती को पारिश्रमिक बनाने के लिए कई उपाय किए हैं और सुधारों की नवीनतम पेशकश इस दिशा में एक अच्छा प्रयास है।”

श्री शंकर ने कहा, “किसानों का एक वर्ग चिंतित हो सकता है क्योंकि उन्हें एक अलग तरीके से व्यापार करने की आवश्यकता होगी, जिसके वो आदी नहीं हैं। इसलिए, उनकी आशंकाओं पर ध्यान देकर उसका समाधान करना महत्वपूर्ण है और उन्हें विश्वास दिलाना होगा कि इन सुधार उपायों का उद्देश्य उनके लिए बढ़ी हुई आमदनी की संभावनाओं में सुधार करना और देश में कृषि व्यवसाय करने में सुगमता लाना है।“

श्री टीआर केसवन, चेयरमैन, फिक्की नेशनल एग्रीकल्चर कमेटी और ग्रुप प्रेसिडेंट (कॉरपोरेट रिलेशंस एंड अलायंस), टीएएफई लिमिटेड ने कहा कि किसानों की उपज के लिए मार्केट लिंकेज को मजबूत करने, तकनीक के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने और कृषि प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के माध्यम से कृषि क्षेत्र का पुनरोद्धार ही समय की मांग है।

यह महत्वपूर्ण है कि किसानों को सशक्त बनाया जाना चाहिए ताकि वे पुरानी प्रथाओं द्वारा तय किए गए खेती के तरीकों के बजाय अपनी सुविधा के अनुसार पर निर्णय ले सकें। भारत सरकार ने लंबे समय से लंबित सुधारों की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाते हुए संकट को एक अवसर में बदल दिया है, जो किसानों के हाथों में चुनाव की स्वतंत्रता प्रदान करता है। सरकार द्वारा घोषित सुधारों से मांग-संचालित मूल्यवर्धित कृषि सक्षम होगी, जो कि एग्रीकल्चर सेक्टर के विकास में तेजी लाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था की संरचना और जटिलताओं को देखते हुए, जहां कहीं छोटी और खंडित भूमि है, उसमें एक उत्साहजनक निति का आना आवश्यक था। पांच एकड़ से कम की छोटी और सीमांत जमीन रखने वाले किसानों को मूल्य श्रृंखलाओं के एकीकरण, कम आउटपुट और खंडित होल्डिंग्स के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो कि अर्थव्यवस्थाओं में बाधा उत्पन्न करते हैं और कृषि आपूर्ति श्रृंखला के विभिन्न बिंदुओं पर अपव्यय का कारण बनते हैं। किसानों की इन्हीं कमजोरियों का लाभ उठाकर बिचौलिए शोषण करते हैं।

 

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