नई दिल्ली। जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की, गाजीपुर बॉर्डर पर कुछ देर बाद ही जश्न मनना शुरू हो गया। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से किसानों का आना भी शुरू हो गया। खुशी की इजहार करते हुए किसानों ने एक दूसरे को जलेबी खिलाकर मुंह मीठा किया।
हालांकि, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अभी दिल्ली से बाहर हैं। उनका बयान आया। उनकी ओर से कहा गया है कि किसानों का आंदोलन उस समय तक जारी रहेगा, जब तक संसद में इस आशय को लेकर घोषणा नहीं की जाती है।
वहीं, कई दूसरे नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय का स्वागत किया और इसे किसानों की जीत बताया। संयुक्त किसान मोर्चा ने तीनों किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़ैसले का स्वागत किया है। हम संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेंगे। अगर ऐसा होता है तो यह भारत में एक साल के किसान संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी।
भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की जो घोषणा की है मैं उसका स्वागत करता हूं। 75 साल किसान विरोधी नीतियों के कारण देश का किसान कर्ज़दार हो गया है, उसे फसलों के दाम नहीं मिले हैं। इसके लिए किसान आयोग का गठन किया जाए। इसलिए किसानों का कर्ज़ा माफ करने की घोषणा करके किसान आयोग का गठन कर दो प्रधानमंत्री जी और किसान आयोग को फसलों के दाम तय करने का अधिकार दे दिए जाएं।