जल जीवन मिशन के तहत 28 माह में 5.44 करोड़ से अधिक घरों में नल से जलापूर्ति

 

समृद्धि भटनागर

नई दिल्ली। मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक श्री भरत लाल ने कहा, “ग्रामीण घरों में नियमित और दीर्घकालिक स्वच्छ नल जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जल जीवन मिशन के बारे में जागरूकता पैदा करने और समुदायों को उनके स्वयं के संचालन और प्रबंधन में शामिल होने में मीडिया की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है ।” वे आज नई दिल्ली में यूनिसेफ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मीडिया संवाद में मुख्य भाषण दे रहे थे।

15 अगस्त, 2021 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, माननीय प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचना चाहिए और ‘कोई भी छूटे नहीं’। प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “हमें शत-प्रतिशत उपलब्धि की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना है। जब सरकार अंतिम पंक्ति में व्यक्ति तक पहुंचने के लक्ष्य के साथ काम करती है, तभी कोई भेदभाव नहीं होता है और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश भी नहीं रह जाती है।”

नल जल उपलब्ध कराने, स्वास्थ्य में सुधार लाने और ग्रामीण जनसंख्या विशेषकर ग्रामीण भारत में महिलाओं और बच्चों को जीवन में सुगमता प्रदान करने के लिए जल जीवन मिशन के समुदाय उन्मुख संदेशों को वितरित करने में मीडिया को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में स्वीकार करते हुए श्री भरत लाल ने मीडिया से आग्रह किया कि वे लोगों को स्वच्छ नल जल के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराएं और जल जीवन मिशन को जन आंदोलन बनाने में मदद करें ।

प्रिंट, ऑनलाइन, रेडियो और टीवी के 80 से अधिक राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मीडिया प्रतिनिधियों ने सभी ग्रामीण घरों को स्वच्छ नल का पानी की आपूर्ति प्रदान करने में मिशन की दृष्टि, उद्देश्यों, प्राथमिकताओं और उपलब्धियों पर केंद्रित ‘जल जीवन मिशन पर मीडिया के साथ बातचीत’ कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में यूनिसेफ इंडिया के वाश के प्रमुख श्री निकोलस ओस्बर्ट और यूनिसेफ इंडिया के संचार, समर्थन और भादीदारी के प्रमुख सुश्री जाफरिन चौधरी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।श्री भरत लाल ने मिशन के आदर्श वाक्य कि ‘कोई भी छूटे नहीं’ और हर गांव में नल जल की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए एक उत्तरदायी और जिम्मेदार नेतृत्व विकसित करने के बारे में, श्री भरत लाल ने कहा कि इसका उद्देश्य हर गांव को ‘वाश प्रबुद्ध गांव’ बनाना है।

जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के बारे में सभी जानकारी सार्वजनिक है।

और जेजेएम डैश-बोर्ड https://ejalshakti.gov.in/jjmreport/JJMIndia.aspx पर उपलब्ध है। जेजेएम डैशबोर्ड के माध्यम से अग्रवर्ती प्रौद्योगिकी, डिजिटल गवर्नेंस और सेंसर आधारित आईओटी प्रणाली के उपयोग का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किस तरह भारत भर के लाखों ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ नल जल उपलब्ध कराकर महिलाओं और बच्चों को सदियों पुराने अरुचिकर कार्य से मुक्ति दिलाई जा रही है। श्री भरत लाल ने कहा, “मिशन के तहत सभी ग्रामीण घरों के साथ-साथ हर स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सीएचसी, सामुदायिक केंद्रों आदि को स्वच्छ नल जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।”

यूनिसेफ इंडिया के वाश के प्रमुख निकोलस ओस्बर्ट ने मीडिया को जेजेएम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा, ‘हर घर में स्वच्छ नल जल की आपूर्ति प्रदान करने और इस प्रकार समुदायों को सशक्त बनाने, स्वच्छता और पर्यावरण को बढ़ावा देने के द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इस उत्कृष्ट निवेश के अवसर का लाभ उठाएं’।

15 अगस्त, 2019 को प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित, जल जीवन मिशन को ‘बॉटम-अप’ दृष्टिकोण के बाद विकेंद्रीकृत तरीके से लागू किया जा रहा है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय योजना से लेकर क्रियान्वयन और प्रबंधन से लेकर संचालन और रखरखाव तक अहम भूमिका निभाता है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, राज्य ग्राम जल और स्वच्छता समिति (VWSC) या पानी समिति को मजबूत बनाने और ग्राम सभा में ग्राम कार्य योजना (VAP) विकसित करने जैसी गतिविधियां चलाता है जिसमें समुदाय अपने दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाली जल संबंधित समस्याओं पर विचार-विमर्श करता है । वीएपी में पेयजल स्रोत सुदृढ़ीकरण/संवर्धन, जल आपूर्ति अवसंरचना, ग्रे वाटर ट्रीटमेंट और पुन: उपयोग और गांव में जल आपूर्ति प्रणाली के संचालन और रखरखाव के घटक हैं । मिशन में कहा गया है कि वीडब्ल्यूएससी / पानी समिति की आधे सदस्य महिलाएं हों, ताकि किसी भी घर में प्राथमिक जल प्रबंधक होने के नाते इन चर्चाओं में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सके। राज्य सरकारें गहन प्रशिक्षण और कौशल कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, विशेष रूप से 5 व्यक्तियों को पानी की गुणवत्ता निगरानी के लिए , जिनमें से ज्यादातर हर गांव में महिलाएं और स्थानीय व्यक्ति जैसे कि राजमिस्त्री, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, मोटर मैकेनिक, फिटर और पंप ऑपरेटर शामिल होंगे।

जल आपूर्ति और बेहतर स्वच्छता पर सरकार के ध्यान के मद्देनजर,15वें वित्त आयोग ने 2021-22 में आरएलबी/पीआरआई को पीने के पानी की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण, और स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति के रखरखाव के लिए 26,940 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित किया। 2021-22 से 2025-26 तक अगले 5 वर्षों के लिए 1.42 लाख करोड़ रुपये का आश्वासित फंड़ है। यह जेजेएम के तहत चल रहे प्रयासों का पूरक होगा। वर्षा जल संचयन, पेयजल स्रोतों को सुदृढ़ करने, जल आपूर्ति को सुदृढ़ करने, ग्रे वाटर प्रबंधन और नियमित संचालन और रखरखाव जैसी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करके ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा इस अनुदान के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए हर संभव प्रयास किए जाने हैं।

2019 में मिशन की शुरुआत में, देश के 19.20 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17%) के पास नल जल की आपूर्ति थी। कोविड-19 महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन के कारण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, 5.44 करोड़ (28.31%) से अधिक परिवारों को मिशन के शुभारंभ के बाद से नल जल मुहैया कराया गया। वर्तमान में, 8.67 करोड़ (45.15%) ग्रामीण परिवारों को नल जल उपलब्ध कराया गया है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पुडुचेरी और हरियाणा ‘हर घर जल’ बन गए हैं, यानी इन राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के सभी ग्रामीण घरों में नल जल की आपूर्ति की गई है।

अब तक 4.5 लाख गांवों में वीडब्ल्यूएससी या पानी समिति का गठन किया गया है और 3.37 लाख गांवों के लिए ग्राम कार्य योजना तैयार की गई है।फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए 8.5 लाख से अधिक महिला स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया है। वे नमूने एकत्र करते हैं और इसकी गुणवत्ता का परीक्षण करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपूर्ति किया गया जल निर्धारित मानकों के अनुसार है। एफटीके की परीक्षण रिपोर्ट जेजेएम पोर्टल पर अपलोड की जाती है। आज, देश में 2,000 से अधिक जल परीक्षण प्रयोगशालाएँ हैं जो पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए मामूली कीमत पर जनता के लिए कार्यरत हैं।

जल जीवन मिशन के तहत, पानी की कमी वाले क्षेत्रों, गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के तहत गांवों को प्राथमिकता दी जाती है। जेई-एईएस प्रभावित जिलों में नल जल की आपूर्ति 8 लाख (3%) घरों से बढ़कर 1.19 करोड़ (39.38%) घरों में हो गई है और आकांक्षी जिलों में यह 24 लाख (7%) घरों से 1.28 करोड़ (38%) हो गई है।

देश के स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनबाडी केंद्रों में बच्चों को सुरक्षित नल जल सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 100 दिनों के अभियान की घोषणा की, जिसका शुभारंभ केंद्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 अक्टूबर 2020 को किया। केंद्रों का उपयोग बच्चों और शिक्षकों द्वारा पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में किया जाता है। अब तक 8.33 लाख (81.33%) स्कूलों और 8.76 लाख (78.48%) आंगनवाड़ी केंद्रों को उनके परिसरों में नल जल उपलब्ध कराया गया है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तराखंड राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के सभी स्कूलों को नल जल आपूर्ति प्रदान की गई है।
प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ विजन के सिद्धांत का अनुपालन करते हुए इस मिशन का आदर्श वाक्‍य है कि ‘कोई भी छूटे नहीं’ और प्रत्‍येक ग्रामीण परिवार को नल के पानी का कनेक्शन उपलब्‍ध कराया गया है। वर्तमान में 83 जिलों के प्रत्येक घर और 1.28 लाख से अधिक गांवों में नल से जलापूर्ति हो रही है।

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