पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नदियों, नालों को साफ करने के अभियान की घोषणा की

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को नदियों और नालों की सफाई के लिए राज्यव्यापी अभियान शुरू करने की घोषणा की। पवित्र काली बेईं नाले की सफाई की 22वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक समारोह के दौरान यहां एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब महान गुरुओं और संतों की पवित्र भूमि है, जिन्होंने पर्यावरण को संरक्षित करने का मार्ग दिखाया है।

उन्होंने कहा कि गुरुओं के पदचिन्हों पर चलते हुए राज्य सरकार जल्द ही राज्य में नदियों और नालों के रूप में प्राकृतिक संसाधनों को साफ करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू करेगी। जबकि इस नेक काम के लिए धन की कोई कमी नहीं है, उन्होंने लोगों से इसका समर्थन करने और अभियान को एक जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार हरित आवरण को बढ़ाने के लिए ठोस प्रयास कर रही है, जिसके लिए ‘शहीद भगत सिंह हरिवाल लहर’ कार्यक्रम शुरू किया गया है।

मान ने लोगों से पंजाब को स्वच्छ, हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बड़ी संख्या में आगे आने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सतही जल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित कर भूजल के ह्रास को रोकने के लिए भी प्रयास कर रही है, जिससे भूजल पर दबाव कम हो सके।

इस वर्ष सरकार ने धान की सीधी बुवाई (डीएसआर) को प्रोत्साहन दिया है, जिससे 20 लाख एकड़ को इस विधि से कवर किया गया है। मान ने कहा कि एक अन्य पहल में सरकार ने गेहूं-धान के चक्र से विविधता लाने और पानी के संरक्षण के लिए ‘मूंग’ पर एमएसपी दिया है।

राज्य के पारिस्थितिकी तंत्र को बर्बाद करने के लिए पिछली राज्य सरकारों की आलोचना करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन लोगों को राज्य की सेवा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उन्होंने अपने निहित स्वार्थों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को बर्बाद कर दिया था।

मान ने कहा कि जिन मंत्रियों को पेड़ लगाकर हरित आवरण को बढ़ाना था, उन्होंने निर्दयतापूर्वक पेड़ों को काटने की अनुमति देकर और उससे कमीशन का दावा करके इसके विपरीत किया।

मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और राज्यसभा सदस्य बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल ने उन्हें पिछले 22 वर्षों में काली बें की सफाई के लिए किए गए प्रयासों से अवगत कराया। उन्होंने सरकार के सहयोग से बुद्ध नाले और चिट्टी बेईं को उसी तर्ज पर साफ करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने काली बें के तट पर पौधारोपण किया। उन्होंने काली बें का पानी भी पिया और कहा कि यह अवसर पाकर वह धन्य हैं।

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